अतुल सुभाष की आत्महत्या ! दहेज कानून के दुरुपयोग पर सवाल

बेंगलुरु के आईटी प्रोफेशनल अतुल सुभाष की आत्महत्या ने देश में दहेज उत्पीड़न कानूनों के दुरुपयोग और कानूनी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Dec 11, 2024 - 13:17
 23
अतुल सुभाष की आत्महत्या ! दहेज कानून के दुरुपयोग पर सवाल
Atul Subhash commits suicide!
Advertisement
Advertisement

बेंगलुरु के आईटी प्रोफेशनल अतुल सुभाष की आत्महत्या ने देश में दहेज उत्पीड़न कानूनों के दुरुपयोग और कानूनी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 24 पन्नों के सुसाइड नोट और एक घंटे के वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष का मामला उन पुरुषों की दुर्दशा को उजागर करता है, जो झूठे आरोपों के शिकार होते हैं। इस मामले में उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया द्वारा दर्ज कराए गए कई मुकदमे विवाद का मुख्य कारण बने।

शादी और आरोपों की शुरुआत

अतुल सुभाष की शादी 26 अप्रैल 2019 को वाराणसी के हिंदुस्तान इंटरनेशनल होटल में निकिता सिंघानिया से हुई थी। दोनों की मुलाकात Shaadi.com के जरिए हुई थी। निकिता ने शादी के तुरंत बाद से अतुल और उनके परिवार पर दहेज मांगने, घरेलू हिंसा, और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए।

निकिता ने 24 अप्रैल 2022 को जौनपुर कोतवाली में अतुल सुभाष, उनकी मां अंजू देवी, पिता पवन मोदी, और छोटे भाई विकास मोदी के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 498A (दहेज उत्पीड़न), 323 (मारपीट), 504 (गाली-गलौज), 506 (धमकी) और दहेज अधिनियम की धाराएं 3/4 के तहत केस दर्ज कराया। FIR में आरोप लगाया गया कि अतुल और उसके परिवार ने 10 लाख रुपये दहेज की मांग की, शराब के नशे में मारपीट की, और निकिता की सैलरी पर कब्जा कर लिया।

सुसाइड नोट में अतुल की सफाई

अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में हर आरोप का मय सबूत खंडन किया। उन्होंने बताया कि निकिता केवल शादी के दो दिन समस्तीपुर में उनके सास-ससुर के साथ रही और फिर बेंगलुरु चली गईं। उन्होंने निकिता के दहेज के आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि निकिता ने कई मामले यह कहकर वापस लिए कि उन्हें इनकी जानकारी नहीं थी और उनके वकील ने उनकी मर्जी के बिना केस फाइल किए थे।

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि झूठे आरोपों और कानूनी मुकदमों के दबाव ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने निष्पक्ष जांच नहीं की और उन्हें प्रताड़ना का शिकार बनाया गया।

दहेज कानून के दुरुपयोग पर बहस

यह मामला केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह दहेज उत्पीड़न कानून (498A) के दुरुपयोग की व्यापक समस्या की ओर इशारा करता है। पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से इस कानून में संशोधन की मांग की है, ताकि झूठे आरोपों के मामलों में निर्दोष व्यक्तियों को राहत मिल सके।

वकील आभा सिंह और पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन जैसे कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाना और जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow