अहोई अष्टमी 2024: जानिए चांद-तारे के निकलने का समय और अर्घ्य देने की विधि
अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखकर अपने बच्चों की खुशहाली, तरक्की और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। व्रत का उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना है।
अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखकर अपने बच्चों की खुशहाली, तरक्की और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। व्रत का उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना है, ताकि वे हर तरह की बुरी परिस्थितियों से बच सकें। इस दिन मां पार्वती के स्वरूप माता अहोई की पूजा की जाती है, जो इस व्रत का मुख्य केंद्र हैं।
क्या है पूजा का मुहूर्त ?
पूजा का मुहूर्त 24 अक्टूबर 2024 को शाम 05:42 से लेकर शाम 06:59 तक है। इस समय के दौरान माताएं विशेष रूप से अपने बच्चों के लिए हलवा और सात दूब (घास की पत्तियां) अर्पित करती हैं। इसके अलावा, अहोई माता को दूध-चावल और मालपुए का भोग भी लगाते हैं, जिसे बाद में संतान को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस व्रत की एक खास बात यह है कि पूजा के बाद माताएं तारे और चांद की पूजा करती हैं।
कब निकलेंगे चांद-तारे ?
तारों को देखने का समय शाम 06:06 है, जबकि चंद्रमा का उदय देर से होता है। 24 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय रात 11:55 है। कुछ महिलाएं तारे देखने के बाद व्रत खोलती हैं, जबकि कुछ महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत समाप्त करती हैं। इस विशेष अवसर पर तारों को स्टील के कलश या करवे से जल अर्पित करने का महत्व है, और इस दौरान 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' मंत्र का जाप किया जाता है।
इन बातों का ख़ास ध्यान रखें
अहोई अष्टमी के दिन कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार के विवाद या कलह से बचना आवश्यक है। माताओं को अपने बच्चों के प्रति नकारात्मक विचारों, क्रोध और निराशा से दूर रहना चाहिए। इस दिन का उद्देश्य केवल सकारात्मकता और प्रेम का प्रचार करना है, ताकि संतान को हर प्रकार की खुशी और सुख प्राप्त हो सके।
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