अभिनेता जसविंदर भल्ला का आज अंतिम संस्कार, प्रोफेसर से अभिनेता तक का सफर
उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 12 बजे मोहाली के बलौंगी श्मशान घाट पर किया जाएगा।
पंजाबी सिनेमा और कॉमेडी के स्तंभ, हंसी को जीवन की सबसे बड़ी दवा मानने वाले और उस हंसी को घर-घर पहुँचाने वाले जसविंदर सिंह भल्ला अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने शुक्रवार सुबह सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 12 बजे मोहाली के बलौंगी श्मशान घाट पर किया जाएगा।
जसविंदर भल्ला का जन्म 4 मई 1960 को लुधियाना के दोराहा में हुआ था। भल्ला ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) से BSC और MSC की डिग्री ली और बाद में मेरठ विश्वविद्यालय से Phd की। 1989 में, वह पीएयू के विस्तार शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में शामिल हुए और 2020 में प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने कला और हास्य की दुनिया में भी कदम रखा। 1988 में, उनकी ऑडियो सीरीज़ 'छनकता 88' ने उन्हें पंजाब के घर-घर तक पहुँचा दिया। चाचा चतर सिंह, एडवोकेट ढिल्लों जैसे किरदारों ने लोगों को इतना हँसाया कि यही नाम उनकी पहचान बन गए।
उन्होंने 1998 में फिल्म 'दुल्ला भट्टी' से बड़े पर्दे पर कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने 'मालूम ठीक है', 'जीजाजी', 'मेल करा दे रब्बा', 'पावर कट', 'कैरी ऑन जट्टा', 'जट्ट एंड जूलियट', 'जिन्ने मेरा दिल लुटेया' जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपने अनोखे अंदाज से दर्शकों को खूब हंसाया। फिल्म जगत से जुड़े कलाकारों ने उनके निधन पर दुख जताया है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि जसविंदर भल्ला की कॉमेडी और हंसी पंजाबी रंग से जुड़ी थी। भल्ला जी का अचानक दुनिया से चले जाना बेहद दुखद है। 'छनकतों' के बंद होने से मन दुखी है, वाहेगुरु उन्हें अपने चरणों में स्थान दें। चाचा चतरा हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।
गायक-अभिनेता गिप्पी ग्रेवाल ने कहा कि 'कैरी ऑन जट्टा-4' उनका ही आइडिया था। उनके शब्द अब अधूरे रह गए। जस्सी गिल ने कहा कि भल्ला जी हमेशा नए कलाकारों का साथ देते थे। वह नए कलाकारों को अपने डायलॉग्स देकर भी उनकी मदद करते थे।
What's Your Reaction?