शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर महाराष्ट्र में पहली बार बोले पीएम मोदी, कहा- 'चरणों में सिर रखकर मांगता हूं माफी'

बीते दिनों महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने से महाराष्ट्र की सियासत में उठे बवाल पर आखिरकार पीएम मोदी की प्रतिक्रिया सामने आई है.

Aug 30, 2024 - 17:24
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शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर महाराष्ट्र में पहली बार बोले पीएम मोदी, कहा- 'चरणों में सिर रखकर मांगता हूं माफी'
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शुक्रवार 30 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र दौरे पर पालघर में वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखते हुए करीब 1,560 करोड़ रुपये के मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. बीते दिनों महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने से महाराष्ट्र की सियासत में उठे बवाल पर आखिरकार पीएम मोदी की प्रतिक्रिया सामने आई है.

'मैं माफी मांगता हूं'

पीएम मोदी ने कहा, "जब 2013 में बीजेपी ने मुझे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में निश्चित किया था तो मैंने रायगढ़ के किले के पर जाकर प्रार्थना की थी. एक भक्त अपने आराध्य को जिस भावना से आराधना करता है उस भावना से देश सेवा करने आया था."

'हमारे आराध्य देव हैं शिवाजी महाराज'

छत्रपति शिवाजी महाराज से माफी भी मांगते हुए पीएम मोदी ने कहा, "पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ मेरे लिए, मेरे सभी साथियों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ नाम नहीं है, ये सिर्फ राजा, महाराजा नहीं हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य देव हैं. मैं आज सर झुका कर छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में मस्तक रखकर माफी मांगता हूं."

पीएम मोदी ने सावरकर का किया याद

पालघर में जानता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सावरकर को भी याद किया. उन्होंने कहा, "हमारे संस्कार अलग हैं. हम वो लोग नहीं हैं जो भारत मां के वीर सपूत वीर सावरकर को अनाप शनाप गालियां देते हैं, देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं. वीर सावरकर को गालियां देकर भी माफी मांगने को तैयार नहीं हैं. महाराष्ट्र की जनता ऐसे संस्कार को जान ले. इस धरती पर आते ही मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज से माफी मांगने का काम कर रहा हूं."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "एक समय था, जब भारत को विश्व के सबसे समृद्ध और सशक्त राष्ट्रों में गिना जाता था. भारत की इस समृद्धि का एक बड़ा आधार भारत का सामुद्रिक सामर्थ्य था... हमारी इस ताकत को महाराष्ट्र से बेहतर और कौन जानेगा? छत्रपति शिवाजी महाराज... उन्होंने समुद्री व्यापार को समुद्री शक्ति को एक नई ऊंचाई दी थी. उन्होंने नई नीतियां बनाई, देश की प्रगति के लिए फैसले लिए थे."

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