सांसद संजीव अरोड़ा ने संसद में उठाया नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने का मुद्दा
लुधियाना के सांसद संजीव अरोड़ा ने राज्यसभा के चल रहे सत्र में देश भर में कम उम्र में शराब पीकर गाड़ी चलाने का गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की और सरकार को इस मुद्दे से निपटने के लिए सुझाव दिए। देश में नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए अरोड़ा ने कहा कि हाल ही में पुणे में हुई सड़क दुर्घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। उन्होंने इस सड़क दुर्घटना को भयावह बताया। उन्होंने कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, पुणे में संचालित लगभग 100 पबों में से केवल 23 के पास ही लाइसेंस है। अरोड़ा ने बताया कि नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ही, इस चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नाबालिगों द्वारा गाड़ी चलाने के चालान में पिछले साल की तुलना में 573 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने अपने संबोधन में आगे बताया कि नाबालिगों के शराब पीने पर लगाम लगाने के लिए फर्जी पहचान पत्र एक और बड़ी चुनौती है। अरोड़ा ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सरकार को खास उपाय सुझाए। उन्होंने प्रतिष्ठानों का नियमित और औचक निरीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने नाबालिग ग्राहकों को शराब परोसकर कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त सजा की वकालत की। इसके अलावा, अरोड़ा ने युवाओं और आम जनता को शिक्षित करने के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करने का सुझाव दिया, जिसमें कम उम्र में शराब पीने से जुड़े कानूनी परिणामों, स्वास्थ्य जोखिमों और लत की संभावना पर प्रकाश डाला गया। अरोड़ा ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह कम उम्र में शराब पीने की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए आतिथ्य उद्योग, शैक्षिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करे।
उन्होंने सर्वरों के लिए फर्जी पहचान पत्रों की पहचान करने तथा नाबालिगों को सेवा देने से मना करने के संबंध में प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का सुझाव दिया, साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में नाबालिग उम्र में शराब पीने के खतरों के बारे में शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने का भी सुझाव दिया। अरोड़ा ने आम नागरिकों को और अधिक शक्ति देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने मोबाइल ऐप विकसित करके आम नागरिकों को सशक्त बनाने का सुझाव दिया, जिसके माध्यम से वे तस्वीरें क्लिक कर सकते हैं और अपराधियों के क्षेत्र को जियोटैग कर सकते हैं, जिससे कानून प्रवर्तन अधिकारियों को मदद मिलेगी। अपने संबोधन के समापन पर उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इस मुद्दे के प्रभावी समाधान के लिए सख्त प्रवर्तन, जन जागरूकता पहल और हितधारकों के साथ सहयोग सहित बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।
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