पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने लगी भारत-चीन की सेनाएं, जल्द शुरु होगी पेट्रोलिंग
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चार वर्षों से चल रहे तनाव में एक नई प्रगति हुई है। 25 अक्टूबर से दोनों देशों की सेनाओं ने डेमचोक और देपसांग पॉइंट से पीछे हटना शुरू कर दिया है। एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चार वर्षों से चल रहे तनाव में एक नई प्रगति हुई है। 25 अक्टूबर से दोनों देशों की सेनाओं ने डेमचोक और देपसांग पॉइंट से पीछे हटना शुरू कर दिया है। एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं। आर्मी सूत्रों के मुताबिक, 28-29 अक्टूबर तक दोनों देश अपनी सेनाएं पूरी तरह हटा लेंगे, हालांकि सीमित संख्या में सैनिक पेट्रोलिंग के लिए रहेंगे।
2020 की स्थिति में लौटने पर सहमति
18 अक्टूबर को जानकारी सामने आई थी कि दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी और उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां पहले करती थीं। यह समझौता हाल ही में 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नए पेट्रोलिंग समझौते के तहत हुआ, जिसका उद्देश्य लद्दाख में गलवान जैसी झड़पों को रोकना और पहले जैसे हालात स्थापित करना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे भारत-चीन सीमा स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर स्थिति स्पष्ट नहीं
समझौते में लद्दाख के देपसांग के चार पॉइंट्स को लेकर सहमति बन गई है, लेकिन गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर पेट्रोलिंग से संबंधित कोई निर्णय नहीं लिया गया है। गलवान घाटी में 2020 की झड़प के बाद से इन क्षेत्रों में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था। फिलहाल, इन क्षेत्रों में स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन कमांडर लेवल की बैठकों का सिलसिला जारी रहेगा ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके।
यह घटनाक्रम भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिरता बनाए रखने में सहायक साबित हो सकता है।
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