हरियाणा में BJP ने लालों के ‘लाल’ और दलबदलुओं पर खेला दांव, जिससे कोसों दूर भागी, उसी को दे दिया अंजाम

हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन पर काफी मंथन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया।

Sep 5, 2024 - 13:33
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हरियाणा में BJP ने  लालों के ‘लाल’ और दलबदलुओं पर खेला दांव, जिससे कोसों दूर भागी, उसी को दे दिया अंजाम

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन पर काफी मंथन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। पहली लिस्ट में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 67 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। सत्ता की हैट्रिपक लगे के लिए हरियाणा में पूरा जोर लगा रही बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में से ही 40 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए। बीजेपी ने जहां अपनी पहली लिस्ट में दूसरे दल से आए नेताओं पर भरोसा जताया है। वहीं, हरियाणा के सियासी परिवारों के बेटे-बेटियों पर दांव खेलने से भी गुरेज नहीं किया है। दल बदलकर आने वाले 9 नेताओं को टिकट देने के अलावा शुरू से ही परिवारवाद पर हमला कर कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी ने इस बार कई नेताओं के बेटों और बेटियों को भी टिकट देने का काम किया है।

तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के पौत्रों को मिला टिकट

भारतीय जनता पार्टी की ओर से हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए जारी की गई पहली लिस्ट में प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के पौत्र और पौत्रियों को टिकट दिया गया है। इन राव बीरेंद्र सिंह के साथ चौधरी बंसीलाल और भजनलाल के परिजन शामिल है। बीजेपी की ओर से जारी की गई पहली लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह पौत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती के अलावा बंसीलाल की पौत्री और हाल ही में राज्यसभा की सांसद बनी किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी के साथ ही चौधरी भजनलाल के पौत्र और बीजेपी नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को बीजेपी की ओर से टिकट दी गई है। इनके अलावा पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को भी बीजेपी में शामिल होने के तीन दिन के बाद ही टिकट दिया गया है। साथ ही पूर्व मंत्री करतार सिंह भडाणा के बेटे मनमोहन भडाणा को समालखा से टिकट दिया गया है।

अपवाद हो गया एक पद का सिद्धांत

भारतीय जनता पार्टी की ओर से हमेशा ही कांग्रेस पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्हें घेरने का काम किया जाता रहा है। अब हरियाणा के इस विधानसभा चुनाव में अपने ही दलों के नेताओं के परिजनों को टिकट देने के बाद बीजेपी का एक पद का सिद्धांत भी अपवाद साबित हो रहा है।

दलबदलू नेताओं पर जताया भरोसा

बीजेपी ने हरियाणा की 9 विधानसभा सीटों पर अपने नेताओं को उतारने के बजाय दूसरे दल से आए हुए नेताओं पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने अपनी पार्टी के पुराने नेताओं की बजाए हाल ही में दूसरी पार्टी को छोड़कर आए नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें तीन दिन पहले बीजेपी का दामन थामने वाले देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम को प्रत्याशी बनाया है, जो जेजेपी छोड़कर आए हैं। इसी तरह हरियाणा जनचेतना पार्टी से बीजेपी में आईं शक्ति रानी शर्मा को कालका से प्रत्याशी बनाया है।

इन नेताओं पर भी खेला दांव

जेजेपी से बीजेपी में आए संजय कबलाना को बादली से प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह से जेजेपी छोड़कर बीजेपी में आने वाले अनूप धानक पर भी पार्टी ने बड़ा दांव खेला है। जेजेपी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले पवन कुमार को खरखौदा से टिकट मिला है। पूर्व जेल अधीक्षक सुनील सांगवान को भी चरखी-दादरी से टिकट मिल गया है, जिनके पिता दो महीने पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले निखिल मदान को पार्टी ने सोनीपत से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से बीजेपी में आईं पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को तोशाम सीट से टिकट मिला है। इसी तरह से इनेलो छोड़कर आए श्याम सिंह राणा को बीजेपी ने रादौर से टिकट दिया है।

सत्ता की हैट्रिक लगाने का प्लान

हरियाणा चुनाव में बीजेपी ने दल बदल कर आए नेताओं पर टिकट देकर बड़ा सियासी दांव चला है, क्योंकि इन सभी नेताओं का अपने-अपने क्षेत्र में कद है। बीजेपी ने अपनी लिस्ट में हरियाणा के तीन पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल, पूर्व राव बीरेंद्र सिंह और चौधरी बंसीलाल की विरासत को साधने की कोशिश की है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के पाले में आए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिसों को बीजेपी ने मुंह मांगा इनाम दिया है। इसके पीछे बीजेपी जहां तीन सीटों पर विजय देख रही है तो प्रदेश भर के इनके समर्थकों को भी अपने पाले में लाने की उम्मीद कर रही है। इसके अलावा जिन इलाकों में बीजेपी कमजोर थी, वहां पर दूसरे दल से आए नेताओं को टिकट देकर सत्ता की हैट्रिक लगाने का प्लान बनाया है. ऐसे में अब देखना है कि बीजेपी का यह दांव कामयाब होता है या नहीं ?

एक चरण में होगा मतदान

बता दें कि हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा। हरियाणा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान होगा और चुनाव नतीजे 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद आएंगे। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को समाप्त होने वाला है। पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था। चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के गठबंधन ने राज्य सरकार बनाई। भाजपा के पास 40, कांग्रेस के पास 31 और निर्दलीय/अन्य के पास 19 सीटें थी। पहले चुनाव 1 अक्टूबर को होना था और 4 अक्टूबर को नतीजे आने थे. लेकिन त्योहारों के मद्देनजर चुनाव आयोग ने तारीख में बदलवा किया है।

2014 में पहली बार बनी बीजेपी की सरकार

हरियाणा विधानसभा के लिए 2014 में हुए चुनावों में पहली बार बीजेपी को जीत मिली थी। बीजेपी ने 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। उस समय इनेलो 19 सीटें जीतकर दूसरे और कांग्रेस 15 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी। 2019 में फिर से हरियाणा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी और बीजेपी 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। कांग्रेस का कारवां 31 सीटों पर रुक गया और नई-नवेली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 10 सीटों पर जीत मिली। चौटाला परिवार की पार्टी इनेलो एक सीट ही जीत सकी थी।

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