GPS से कटेगा टोल, सरकार ने नए सिस्टम को दी मंजूरी, इतने किमी तक यात्रा होगी फ्री
इसके साथ ही देश में सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक, टोल कलेक्शन के लिए अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट्स (OBU) का इस्तेमाल किया जाएगा। इनकी मदद से ऑटोमेटिक टोल कलेक्शन किया जाएगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में बदलाव किया है। इसके साथ ही देश में सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक, टोल कलेक्शन के लिए अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट्स (OBU) का इस्तेमाल किया जाएगा। इनकी मदद से ऑटोमेटिक टोल कलेक्शन किया जाएगा। इसमें 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। फिलहाल फास्टैग का इस्तेमाल भी जारी रहेगा।
GNSS वाले वाहनों के लिए अलग लेन बनाई जाएंगी
सरकार ने नए नियमों को आधिकारिक गजट में भी प्रकाशित किया है। अधिसूचना के अनुसार, फिलहाल फास्टैग और ऑटोमेटिक नंबर रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (एएनपीआर) का भी इस्तेमाल जारी रहेगा। कहा गया है कि जीएनएसएस ओबीयू वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर अलग लेन बनाई जाएंगी, ताकि उन्हें टोल वसूली के लिए रुकना न पड़े। ऐसे वाहनों को सिर्फ उतनी ही दूरी के लिए टोल देना होगा, जितनी दूरी उन्होंने टोल रोड का इस्तेमाल किया है।
यात्रा की दूरी तय करके टोल काटा जाएगा
सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने कहा कि जो वाहन भारत में पंजीकृत नहीं हैं और जिनमें जीएनएसएस डिवाइस नहीं है, उनके लिए टोल वसूली की पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी। फिलहाल आपको हर टोल प्लाजा पर रुककर फास्टैग से पैसे कटवाने पड़ते हैं या फिर नकद भुगतान करना पड़ता है। इससे प्लाजा पर भीड़भाड़ हो जाती है। अब जीपीएस की मदद से यात्रा की दूरी तय करके टोल काटा जाएगा। इससे लोगों का समय भी बचेगा। सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लंबे समय से इस व्यवस्था को लाने का प्रयास कर रहे थे।
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