आज बंद होंगे शीतकाल के लिए बद्रीनाथ के कपाट, देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया 13 नवंबर को पंच पूजा, गणेश पूजा और गणेश मंदिर के कपाट बंद होने के साथ शुरू हो गई थी। 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे, जबकि 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजा और वैदिक श्लोकों का पाठ बंद कर दिया गया था।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से मंदिर को कई क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आज यानी रविवार को रात्रि 9:07 बजे शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
मंदिर को कई क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया 13 नवंबर को पंच पूजा, गणेश पूजा और गणेश मंदिर के कपाट बंद होने के साथ शुरू हो गई थी। 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे, जबकि 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजा और वैदिक श्लोकों का पाठ बंद कर दिया गया था। शनिवार को मां लक्ष्मी जी को कढ़ाई भोग लगाया गया। बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए रविवार को रात्रि 9:07 बजे बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को कई क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। मंदिर पूरे दिन श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। कपाट बंद होने के अवसर पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।
अब तक 14 लाख से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन
इस वर्ष 14 लाख 25 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं। इस अवसर पर मंदिर समिति, सेना और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर सिंह पंवार ने बताया कि मंदिर समिति ने कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया जा रहा है। बदरीनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालु बृजेश जोशी, एकता और मोहित का कहना है कि यहां आकर उन्हें शांति का अनुभव हुआ है। साथ ही उन्हें बदरी विशाल के अच्छे दर्शन हुए हैं।
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