जन्माष्टमी पूजा के लिए जरूरी है ये सामग्री, बिना इसके अधूरी है पूजा

जन्माष्टमी के उत्सव में कई प्रकार के भोग तैयार किए जाते हैं और विभिन्न पूजा सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इनमें एक विशेष वस्तु है ‘खीरा’। खीरा विशेष रूप से डंठल वाले खीरे का उपयोग पूजा में किया जाता है, जिसका महत्वपूर्ण धार्मिक अर्थ होता है।

Aug 26, 2024 - 16:40
 51
जन्माष्टमी पूजा के लिए जरूरी है ये सामग्री, बिना इसके अधूरी है पूजा
Janmashtami
Advertisement
Advertisement

जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष भक्तिभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जो श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। इस वर्ष, जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को है, और इसके लिए जोरदार तैयारी चल रही है। पंचांग के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए, इस दिन विशेष रूप से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कान्हा का भव्य श्रृंगार किया जाता है और विधि-विधान से पूजा संपन्न की जाती है।

जन्माष्टमी के उत्सव में कई प्रकार के भोग तैयार किए जाते हैं और विभिन्न पूजा सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इनमें एक विशेष वस्तु है ‘खीरा’। खीरा विशेष रूप से डंठल वाले खीरे का उपयोग पूजा में किया जाता है, जिसका महत्वपूर्ण धार्मिक अर्थ होता है। खीरे के बिना जन्माष्टमी की पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए पूजा सामग्री में इसे शामिल करना आवश्यक है।

जन्माष्टमी पर खीरे का विशेष महत्व है। इसे गर्भनाल की तरह समझा जाता है। रात्रि में जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है, तो खीरे को सिक्के से काटकर डंठल को अलग कर दिया जाता है। इसे कृष्ण और माता देवकी के अलग होने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस प्रक्रिया को कई स्थानों पर ‘नल छेदन’ भी कहा जाता है, जो कृष्ण के जन्म के बाद गर्भनाल काटने की परंपरा को दर्शाता है।

सदियों से जन्माष्टमी पर खीरे के डंठल को काटने की यह परंपरा चली आ रही है। इसे शिशु के जन्म के बाद गर्भनाल के अलग होने के समान माना जाता है। इस प्रकार, खीरा और उसकी पूजा जन्माष्टमी की धार्मिक परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इस पर्व को सम्पन्न करने में विशेष भूमिका निभाते हैं।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow