महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज, लाखों लोग लगाएंगे संगम में आस्था की डुबकी
महाकुंभ का यह संस्करण 12 साल बाद आयोजित हो रहा है। हालांकि, संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए 144 साल बाद खगोलीय परिवर्तन और संयोग बन रहे हैं, जो इस अवसर को और भी शुभ बना रहे हैं।
प्रयागराज में संगम की रेती पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम महाकुंभ सोमवार को पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर पहले बड़े स्नान अनुष्ठान के साथ शुरू हो जाएगा। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर होने वाला आस्था का यह महापर्व अगले 45 दिनों तक अध्यात्म के कई रंग बिखेरेगा।
महाकुंभ का यह संस्करण 12 साल बाद आयोजित हो रहा है। हालांकि, संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए 144 साल बाद खगोलीय परिवर्तन और संयोग बन रहे हैं, जो इस अवसर को और भी शुभ बना रहे हैं। शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे।
2 दिन पहले 25 लाख लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
श्रद्धालुओं का आंकड़ा अभी से इस महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता की कहानी कह रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत से दो दिन पहले 11 जनवरी 2025 को रिकॉर्ड 25 लाख लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। अधिकारियों के अनुसार, "यह एक भव्य महाकुंभ होगा, जिसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आधुनिकता भी देखने को मिलेगी क्योंकि यह एक तरह का 'डिजी-कुंभ' भी होगा जिसमें AI का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा।" इस भव्य आयोजन के लिए प्रयागराज पूरी तरह से तैयार है और इस शहर पर दुनिया भर से आने वाले संतों, तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं और आम जनता की भी निगाहें लगी हुई हैं। सभी का लक्ष्य आध्यात्मिक उत्साह से सराबोर होना है।
'प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर'
CM योगी उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा था कि सोमवार 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाला महाकुंभ वैश्विक स्तर पर भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को प्रमुखता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा था, "महाकुंभ भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। यह आयोजन दुनिया भर के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जुड़ने का मौका देता है।''
आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ का यह संस्करण भव्य, दिव्य और डिजिटल रूप से उन्नत आयोजन होगा। करीब 10 हजार एकड़ क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता का अनुकरणीय मानक स्थापित करेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाने के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप से शौचालयों की सफाई पर नजर रखने की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा स्मार्टफोन से एकीकृत एआई संचालित प्रणाली सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का भी प्रतीक है। महाकुंभ के दौरान आयोजन स्थल को दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर में तब्दील कर दिया जाता है। इसमें एक बार में 50 लाख से एक करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के मुताबिक महाकुंभ मेला क्षेत्र में 55 से अधिक थाने बनाए गए हैं और करीब 45 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सोशल मीडिया की निरंतर निगरानी से जुड़ी परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। इस महाकुंभ में विभिन्न संप्रदायों के संतों के 13 अखाड़े भाग ले रहे हैं, जो सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
आस्था से सराबोर नजर आ रहा है प्रयागराज
प्रयागराज में विभिन्न कार्यालयों की दीवारों को हिंदू धर्म के विभिन्न पहलुओं, देवी-देवताओं और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित प्रमुख घटनाओं को दर्शाती पेंटिंग से सजाया गया है। शहर के चौराहों को भी कलश, शंख और सूर्य नमस्कार आसन की विभिन्न मुद्राओं जैसी विभिन्न धार्मिक वस्तुओं से सजाया गया है। इसके अलावा शहर के अधिकांश प्रमुख चौराहों को नया रूप दिया गया है।
पुलिस द्वारा विभिन्न चौराहों और तिराहों पर बैरिकेडिंग भी लगाई गई है, जिससे पुलिस को भीड़ की आवाजाही को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संगम क्षेत्र या फाफामऊ में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक लोगों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 30 से अधिक पांटून पुल भी तैयार किए गए हैं।
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला कुंभ मेला
महाकुंभ मेला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जनवरी 2024 में अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला कुंभ मेला है। महाकुंभ 2025 में अखाड़ों सहित विभिन्न संगठनों के शिविर अखाड़ा क्षेत्र में पूरी भव्यता के साथ लगाए गए हैं। शिविरों को हमेशा की तरह खूबसूरती से डिजाइन किया गया है, लेकिन इस साल प्रवेश द्वार अपने अनूठे और थीम वाले डिजाइनों के साथ सुर्खियां बटोर रहे हैं।
मेला क्षेत्र में थीम वाले प्रवेश द्वार देखने में आकर्षक होने के साथ-साथ पहचान चिह्न के रूप में भी काम कर रहे हैं और तीर्थयात्रियों को विशिष्ट संगठनों का पता लगाने और उन तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। विभिन्न अखाड़ों और संगठनों ने न केवल अपने शिविरों को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है, बल्कि अपने प्रवेश द्वारों को भी विशिष्ट थीम के साथ डिजाइन किया है।
संगम के प्रवेश द्वार कुंभ की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "झूंसी के पास स्थित ये द्वार हवाई जहाज के मॉडल, शिवलिंग और मुकुट सहित विभिन्न डिजाइनों में हैं, जो शिविरों की समग्र भव्यता को बढ़ाते हैं।" बयान के अनुसार, पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले संगम के तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। रविवार को युवाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए अपार उत्साह के साथ जुटे।
बयान के अनुसार, इस दौरान श्रद्धालुओं ने इस अवसर को अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ने के अवसर के रूप में लिया। उन्होंने वीआईपी घाट और संगम पर स्नान के क्षणों को कैमरे में कैद किया और उन्हें साझा किया। वे क्षण प्राचीन आस्था और आधुनिक कनेक्टिविटी के मिश्रण के प्रतीक थे। पुलिस उप महानिरीक्षक वैभव कृष्ण और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी व्यक्तिगत रूप से व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे हैं।
What's Your Reaction?