सर्दी में भी कम नहीं हुआ सुखना लेक पर बोटिंग का क्रेज, लोगों की भीड़ से बन रहा मेले सरीखा माहौल
सुखना लेक चंडीगढ़ में हिमालय की तलहटी (शिवालिक पहाड़ियां) में बना एक जलाशय है। तीन किलोमीटर वर्ग में फैली यह झील सूखना-चो पर बांध बनाकर वर्ष 1958 में तैयार की गई थी।
चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : सिटी ब्यूटीफुल के सबसे शानदार और टूरिस्ट पलेस में शामिल सुखना लेक पर सर्दियों के बावजूद मेले सरीखा माहौल बना हुआ है। सैकड़ों की संख्या में लोग रोजाना यह नौका विहार का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मौसम साफ होने के कारण रोजाना यहां लगने वाले लोगों के हजूम से यहां मेले सरीखा माहौल बना रहता है। इस दौरान नौका विहार का आनंद लेने आने वाले लोगों के लिए सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। किसी भी पर्यटक को सेफ्टी बेल्ट और लाइफ जैकेट के बिना नौका विहार नहीं करने दिया जाता। औद्योगिक एवं पर्यटन विकास निगम (सिटको) की ओर से सुखना लेक की देखरेख की जाती है। चंडीगढ़ की शान कही जाने वाली सुखना लेक पर हालांकि नौका विहार करने के लिए शुल्क रखा गया है, लेकिन इसके बावजूद वहां पर नौका विहार का आनंद उठाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली तक से भी लोग खास तौर पर सुखना लेक को देखने और नौका विहार करने के लिए आते हैं। सर्दियों में सुखना पर लाखों मील दूर से दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं। हालांकि अभी तक इन पक्षियों ने यहां आना शुरू नहीं किया है। ऐसे में भारी संख्या में लोग इन दुर्लभ पक्षियों को देखने के लिए भी लेक पर पहुंचते हैं।
शिकारा की सवारी भी उपलब्ध
समय के साथ ही सुखना लेक पर सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की गई है। कश्मीर में होने वाली शिकारा की सवारी अब चंडीगढ़ की सुखना लेक पर भी उपलब्ध है। झील के लिए एक समर्पित कैफ़े है, जिसे सिटको कैफ़ेटेरिया के रूप में जाना जाता है, जिसमें इनडोर और आउटडोर दोनों तरह की बैठने की जगह है। इसके अलावा छोटी-छोटी चीज़ें खरीदने के लिए स्मारिका की दुकानें भी हैं। सुखना लेक चंडीगढ़ के शांत शहर में गतिविधियों का केंद्र है।
1958 में हुई थी तैयार
सुखना लेक चंडीगढ़ में हिमालय की तलहटी (शिवालिक पहाड़ियां) में बना एक जलाशय है। तीन किलोमीटर वर्ग में फैली यह झील सूखना-चो पर बांध बनाकर वर्ष 1958 में तैयार की गई थी। सुखना-चो शिवालिक पहाड़ियों से नीचे आने वाला एक बरसाती जल स्रोत है। : सिटी ब्यूटीफुल के सबसे शानदार और टूरिस्ट पलेस में शामिल सुखना लेक पर सर्दियों के बावजूद मेले सरीखा माहौल बना हुआ है। सैकड़ों की संख्या में लोग रोजाना यह नौका विहार का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं। मौसम साफ होने के कारण रोजाना यहां लगने वाले लोगों के हजूम से यहां मेले सरीखा माहौल बना रहता है। इस दौरान नौका विहार का आनंद लेने आने वाले लोगों के लिए सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। किसी भी पर्यटक को सेफ्टी बेल्ट और लाइफ जैकेट के बिना नौका विहार नहीं करने दिया जाता। औद्योगिक एवं पर्यटन विकास निगम (सिटको) की ओर से सुखना लेक की देखरेख की जाती है। चंडीगढ़ की शान कही जाने वाली सुखना लेक पर हालांकि नौका विहार करने के लिए शुल्क रखा गया है, लेकिन इसके बावजूद वहां पर नौका विहार का आनंद उठाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली तक से भी लोग खास तौर पर सुखना लेक को देखने और नौका विहार करने के लिए आते हैं। सर्दियों में सुखना पर लाखों मील दूर से दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं। हालांकि अभी तक इन पक्षियों ने यहां आना शुरू नहीं किया है। ऐसे में भारी संख्या में लोग इन दुर्लभ पक्षियों को देखने के लिए भी लेक पर पहुंचते हैं।
शिकारा की सवारी भी उपलब्ध
समय के साथ ही सुखना लेक पर सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की गई है। कश्मीर में होने वाली शिकारा की सवारी अब चंडीगढ़ की सुखना लेक पर भी उपलब्ध है। झील के लिए एक समर्पित कैफ़े है, जिसे सिटको कैफ़ेटेरिया के रूप में जाना जाता है, जिसमें इनडोर और आउटडोर दोनों तरह की बैठने की जगह है। इसके अलावा छोटी-छोटी चीज़ें खरीदने के लिए स्मारिका की दुकानें भी हैं। सुखना लेक चंडीगढ़ के शांत शहर में गतिविधियों का केंद्र है।
1958 में हुई थी तैयार
सुखना लेक चंडीगढ़ में हिमालय की तलहटी (शिवालिक पहाड़ियां) में बना एक जलाशय है। तीन किलोमीटर वर्ग में फैली यह झील सूखना-चो पर बांध बनाकर वर्ष 1958 में तैयार की गई थी। सुखना-चो शिवालिक पहाड़ियों से नीचे आने वाला एक बरसाती जल स्रोत है।
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