डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, देशभर के मामलों की CBI को सौंपी जांच
डिजिटल अरेस्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने CBI को देश भर में डिजिटल अरेस्ट केस की जांच करने का आदेश दिया है। RBI को नोटिस जारी कर पार्टी बनाया गया है। SC दो हफ़्ते में केस की आगे सुनवाई करेगा।
डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने देशभर में दर्ज सभी डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है। साथ ही राज्यों की पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वे इस जांच में केंद्रीय एजेंसी को पूरा सहयोग दें। अदालत ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भी नोटिस जारी करते हुए मामले में पक्षकार बनाया है। अब सुप्रीम कोर्ट दो हफ़्ते बाद इस मुद्दे पर अगली सुनवाई करेगा। इसके अतिरिक्त, आईटी इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत नियुक्त प्राधिकरणों को भी CBI के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अधिकतर राज्यों ने एकमत होकर यह बताया है कि धोखेबाज मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बना रहे हैं-कभी धमकी देकर, तो कभी आकर्षक निवेश और नौकरी के लालच का झांसा देकर। CJI ने बताया कि अदालत के सामने रखी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में एमाइकस ने इन साइबर अपराधों को तीन श्रेणियों में बांटा है-डिजिटल अरेस्ट, निवेश संबंधी ठगी, और पार्ट-टाइम नौकरी घोटाले। अदालत ने कहा कि ये साइबर अपराध के सबसे खतरनाक क्षेत्र हैं, जिनमें लोगों से उगाही या भारी रकम ऐंठने का प्रयास किया जाता है।
CBI को इंटरपोल से सहायता लेने की खुली छूट
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन राज्यों ने अभी तक CBI जांच के लिए सहमति नहीं दी है, वे आईटी अधिनियम 2021 के प्रावधानों के तहत अनुमति प्रदान करें, ताकि एक राष्ट्र-व्यापी समन्वित जांच की जा सके। इसके साथ ही, चूँकि कई मामलों की जड़ें देश की सीमाओं से बाहर तक फैली हुई हैं, सुप्रीम कोर्ट ने CBI को जरूरत पड़ने पर इंटरपोल की सहायता लेने की अनुमति भी दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिम कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में लापरवाही बरतने वाली दूरसंचार कंपनियों पर भी सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि वह इस मुद्दे पर विस्तृत प्रस्ताव पेश करे, ताकि ऐसी गड़बड़ियों से बचने के लिए सभी टेलीकॉम कंपनियों को बाध्यकारी नियम लागू किए जा सकें।
CBI को बैंकिंग सिस्टम की जांच का भी अधिकार
डिजिटल ठगी के नेटवर्क को खत्म करने के लिए अदालत ने CBI को व्यापक अधिकार दिए हैं। अब एजेंसी उन बैंकों और बैंक अधिकारियों की भी भूमिका की जांच कर सकेगी जिनके माध्यम से ऐसे फर्जी खातों का संचालन किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने RBI को निर्देश दिया है कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आधारित सिस्टम लागू करने पर अपनी रिपोर्ट अदालत को दे-ताकि संदिग्ध खातों की पहचान कर अपराध की कमाई को रोका जा सके।
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