पंजाब में बाढ़ से बिगड़े हालात, कपूरथला और होशियारपुर में में भयानक मंजर
पंजाब में लगातार बारिश की वजह से नदियां उफान पर हैं। इस वजह से कई गांव और निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। मंगलवार को कई जिलों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के साथ-साथ सेना की टीम लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा रही है
पंजाब में लगातार बारिश की वजह से नदियां उफान पर हैं। इस वजह से कई गांव और निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। मंगलवार को कई जिलों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के साथ-साथ सेना की टीम लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा रही है। मौसम विभाग ने राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है और इसे देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने 27 से 30 अगस्त तक राज्य के सभी स्कूलों को बंद करने की घोषणा की है।
हिमाचल प्रदेश और जम्मू -कश्मीर में सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में भारी बारिश के बाद जलस्तर बढ़ने से पंजाब में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। पौंग, भाखड़ा और रणजीत सागर बांधों से ज्यादा पानी छोड़े जाने से पंजाब के कई जिलों के गांवों की परेशानियां बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्हें फसलों के बड़े पैमाने पर नुकसान का डर है।
इन जिलों के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित? सबसे ज्यादा प्रभावित गांव पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोज़पुर और होशियारपुर जिलों में हैं। अधिकारियों ने बताया कि पंजाब में किसी भी संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने और प्रभावित इलाकों में तत्काल राहत सुनिश्चित करने के लिए जालंधर के सर्किट हाउस में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। राज्य में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण दो लोगों की मौत हो गई और कुल 23 में से 16 जिलों में 44,899 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है। बरनाला और होशियारपुर में छत गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई। मृतकों की पहचान बरनाला के रहने वाले सोनिया और होशियारपुर के रहने वाले कैलाशो देवी के रूप में हुई है।
कपूरथला के मंड क्षेत्र और दोआब क्षेत्र के होशियारपुर जिले के गांव में हालात और भी ज्यादा बिगड़ गए। दोनों जिलों में लगभग 15,000 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। सुल्तानपुर में ही लगभग 30-35 गांवों की लगभग 10,000 एकड़ कृषि भूमि प्रभावित है। कपूरथला जिले में सुल्तानपुर लोधी के मंड इलाके में बांध में दरार आने से स्थिति गंभीर हो गई है। नदी के किनारे उगाई गई फसलों की सुरक्षा के लिए बनाया गया यह बांध तीन जगहों पर टूट गया, जिससे बाढ़ का पानी सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि में डूब गया।
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