कौन हैं सत्य साईं बाबा ? जिनके शताब्दी समारोह में ऐश्वर्या राय ने पीएम मोदी के सामने की तारीफ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं बाबा के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल हुए। बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस मौके पर हम आपको बताएंगे कि दिवंगत गुरु श्री सत्य साईं बाबा असल में कौन थे।
Sathya Sai Baba : बुधवार, 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश पहुंचे, जहाँ उन्होंने पुट्टपर्थी में आयोजित श्री सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने उनके मंदिर और महासमाधि पर जाकर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इस कार्यक्रम में बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय भी मौजूद रहीं।
श्री सत्य साईं बाबा कौन थे?
श्री सत्य साईं बाबा भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु, मानवतावादी और साईं आंदोलन के केंद्र बिंदु थे। उनका जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में भटराजू परिवार में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम सत्यनारायण राजू था।
केवल 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने यह घोषणा की कि वही शिरडी साईं बाबा का अगला जन्म हैं और उसी क्षण से उन्होंने खुद को सत्य साईं बाबा कहलाना शुरू किया। उनके अनुयायियों के अनुसार, बचपन से ही उनके आसपास दिव्य घटनाएँ दिखाई देने लगी थीं।
सत्य साईं बाबा के चमत्कार
सत्य साईं बाबा के भक्तों के बीच उनकी कई चमत्कारी शक्तियों की कहानियाँ लोकप्रिय हैं, जैसे—
· हवा से विभूति (पवित्र भस्म) बनाना
· अंगूठी, चेन और छोटी वस्तुएँ प्रकट करना
· स्वयं उपचार करने की क्षमता
· कुछ मामलों में मृत्यु के बाद पुनर्जीवन का दावा
· सर्वज्ञ होने की शक्ति
इन दावों को लेकर विवाद भी रहा, लेकिन करोड़ों अनुयायी उन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानते हैं।
परमार्थ और आध्यात्मिक सेवा
साई बाबा ने अपना जीवन समाज की सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव कल्याण को समर्पित किया।
उनके संस्थानों ने—
· मुफ्त अस्पताल,
· शिक्षण संस्थान,
· पेयजल परियोजनाएँ
स्थापित कीं, जिनसे लाखों लोगों को लाभ मिला।
सत्य साईं बाबा का निधन
24 अप्रैल 2011 को 84 वर्ष की उम्र में उनका निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ। लेकिन उनके जीवित रहते ही, 23 मई 1940 को उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का पुनर्जन्म बताया था।
कैसे मिला उन्हें ‘सत्य साईं बाबा’ नाम?
कहा जाता है कि उनके बचपन से ही पढ़ाई में रुचि कम थी और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव अधिक।
लोग बताते हैं कि वे छोटी उम्र में भी ऐसी चीजें कर दिखाते थे, जिन्हें लोग चमत्कार मानते थे—जैसे हवा में मिठाई या भोजन प्रकट कर देना।
शिरडी साईं बाबा के समाधि लेने के आठ साल बाद सत्यनारायण राजू का जन्म हुआ, और बाद में उन्होंने खुद को उसी आत्मा का अवतार बताया। इसी तरह वे सत्य साईं बाबा कहलाए।
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