हर्षा रिछारिया को लेकर दो गुटों में बंटा संत समाज, जानें क्या है विवाद?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और महाराज आनंद स्वरूप ने हर्षा रिछारिया का विरोध किया है, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हर्ष उनके समर्थन में उतर आए हैं। चर्चा यह भी है कि हर्षा रिछारिया अभी भी कुंभ क्षेत्र में हैं।
Harsha Richhariya: महाकुंभ की शुरुआत से ही वायरल हुईं हर्षा रिछारिया अभी भी सुर्खियों में हैं। अब उनका लाइमलाइट से बाहर होना विवाद पैदा कर रहा है। उनको लेकर संत समाज दो धड़ों में बंटा नजर आ रहा है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और महाराज आनंद स्वरूप ने हर्षा रिछारिया का विरोध किया है, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हर्ष उनके समर्थन में उतर आए हैं। चर्चा यह भी है कि हर्षा रिछारिया अभी भी कुंभ क्षेत्र में हैं।
हर्षा रिछारिया को फिर से निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और उनके गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर के सामने देखा गया है। इस खबर के बाद महाकुंभ में संत समाज दो भागों में बंट गया है। शांभवी पीठाधीश्वर महाराज आनंद स्वरूप ने अब मांग की है कि हर्षा के गुरु निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि को कुंभ से बाहर किया जाए।
‘शाही सवारी कराकर परंपरा को कलंकित किया’
शांभवी पीठाधीश्वर ने आरोप लगाया कि कैलाशानंद संत संस्कार और निरंजनी अखाड़े की परंपरा को नहीं जानते हैं। उन्होंने भगवा वस्त्र में मॉडल को शाही सवारी कराकर परंपरा को कलंकित किया है। शांभवी पीठाधीश्वर ने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने अखाड़ा परिषद और निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी से मुलाकात की है और स्वामी कैलाशानंद को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से हटाने और अखाड़े से निष्कासित करने का अनुरोध किया है।
यह संन्यास की परंपरा का अपमान है- संत
आनंद स्वरूप ने कहा कि हर्षा के परिजन उसकी शादी कराना चाहते हैं। वे उससे कह रहे हैं कि उसकी शादी अगले महीने होगी। वे कह रहे हैं कि बेटी को संन्यास नहीं लेने देंगे। जब यह भी तय नहीं हुआ है कि उसे गृहस्थ में जाना है या संन्यास में और आप उसे रथ पर बैठा रहे हैं। यह संन्यास की परंपरा का अपमान है। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी आनंद स्वरूप का समर्थन करते हुए कहा कि संत-महात्माओं के शाही रथ पर किसी ऐसे व्यक्ति को स्थान देना उचित नहीं है, जिसने अभी तक यह तय नहीं किया है कि उसे संन्यास की दीक्षा लेनी है या विवाह करना है। वह श्रद्धालु के रूप में भी शामिल होती तो भी ठीक था, लेकिन उसे भगवा वस्त्र पहनाकर शाही रथ पर बैठाना पूरी तरह गलत है।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने हर्ष का समर्थन किया
हालांकि अखाड़े के प्रमुख श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने हर्ष का समर्थन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवा वस्त्र केवल संन्यासी या संत ही नहीं बल्कि सनातन को समझने वाले लोग भी पहन सकते हैं। हर्षा रिछारिया उनकी बेटी की तरह हैं और उनके भगवा पहनने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सनातन का प्रचार-प्रसार होना चाहिए और अधिक से अधिक युवक-युवतियों को आगे आना चाहिए, इससे सनातन मजबूत ही होगा।
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