रामनारायण यादव ने बताया कैसे हुआ था देश के संविधान का निर्माण, जानिए
इस दौरान रामनारायण यादव ने ना केवल संविधान निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, बल्कि उन्होंने संविधान में हुए संशोधनों और उसे बनाने में आई दिक्कतों के बारे में भी जानकारी दी।

चंद्रशेखर धरणी: देशभर में आज धूमधाम से अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाया, लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि हमारे देश के गणतंत्र यानि संविधान का निर्माण कैसे और किन हालात में हुआ। गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के संविधान निर्माण को लेकर हमने संविधान के जानकार रामनारायण यादव से खास बातचीत की। इस दौरान रामनारायण यादव ने ना केवल संविधान निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, बल्कि उन्होंने संविधान में हुए संशोधनों और उसे बनाने में आई दिक्कतों के बारे में भी जानकारी दी।
रामनारायण यादव ने बताया कि आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार बहुत मुश्किल से हमारे देश का संविधान बनाने की मंजूरी देने के लिए तैयार हुई थी। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने 1945 में अपनी सहमति दी और 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया। गठित की गई सभा हमारे देश के नेताओं की आशाओं के अनुरूप नहीं थी। इसके बाद 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक का आयोजन किया गया, जिसके अध्यक्ष डॉ. सचिदानंद सिन्हा को बनाया गया। इसके बाद 11 दिसंबर को दूसरी बैठक हुई। इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया।
इसके बाद संविधान निर्माण के लिए तीसरी बैठक बुलाई गई तो उसमें हर कोई उदास नजर आया। इसके पीछे कईं कारण थे, जिनमें मुसिलम लीग और देश के राजाओं के प्रतिनिधियों के अलावा ब्रिटिश सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलना था। इसके अलावा पीठ को ब्रिटिश सरकार की ओर से संविधान निर्माण के लिए महज एक करोड़ रुपए की राशि दी गई थी, जोकि बहुत कम थी। परंतु इसके बाद भी संविधान पीठ में शामिल हमारे देश के नेताओं ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने भत्ते काटकर 97 लाख के करीब की राशि में ही संविधान बनाकर पैसा भी बचाकर दिखा दिया।
ऐसे हुई बाबा साहब की एंट्री
रामनारायण यादव बताते हैं कि उस समय सरोजनी नायडू ने संविधान पीठ को कहा कि उनके कुछ राजा साथी इसमें शामिल होंगे साथ ही मुस्लिम लीग के जिन्ना भी कुछ दिन के लिए उनके पास आए, हालांकि वह 1942 में ही अलग पाकिस्तान बनाने का अपना लक्ष्य बना चुके थे। इसके बाद संविधान बनाना शुरू किया गया तो सवाल उठा कि इसे बनाएगा कौन ? उस समय डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान पीठ में शामिल नहीं हो रहे थे। वह अच्छे से जानते थे कि उनका दुरुपयोग किया जाएगा, वहीं पीठ के सदस्य भी यह अच्छे से जानते थे कि बाबा साहब के बिना संविधान नहीं बन पाएगा।
इसलिए संविधान पीठ के सदस्य जबरन उन्हें अपने साथ लेकर आए। उस समय बाबा साहब ने खुद कहा था कि उनका जन्म अपने पिछड़े समाज का उत्थान करने के लिए हुआ है। खैर 29 फरवरी 1947 को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गई। डॉ. भीम राव अंबेडकर को उस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। संविधान तैयार किए जाने के बाद उसे 8 महीने तक जनता के बीच रखा गया। उस समय करीब साढ़े 7 हजार सुझाव और आपत्तियां मिली थी, जिन्हें पढ़ने के बाद करीब 2800 संशोधन कर 2 साल 11 महीने और 17 दिन की मेहनत के बाद भारत के संविधान का निर्माण हुआ।
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