पुतिन का भारत दौरा: रणनीतिक साझेदारी को नई रफ्तार देने की तैयारी

5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। इस दौरान रक्षा, ऊर्जा और व्यापार से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।

Dec 4, 2025 - 08:11
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पुतिन का भारत दौरा: रणनीतिक साझेदारी को नई रफ्तार देने की तैयारी

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत पहुंचने वाले हैं। यह दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी। 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। इस दौरान रक्षा, ऊर्जा और व्यापार से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।

पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा भारत को लेकर अपनाए गए सख्त रुख के बीच रूस इस शिखर बैठक में भारत के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर देगा। इससे पहले ही भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, जिनमें रक्षा क्षेत्र की अहम डील भी शामिल है। रूस की संसद ड्यूमा ने भारत-रूस के RELOS समझौते को मंजूरी देकर द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को नई दिशा देने का संकेत दिया है।

दौरे के प्रमुख बिंदु

1. पुतिन का आगमन और पीएम मोदी से मुलाकात
रूसी राष्ट्रपति 4 दिसंबर को भारत पहुंचेंगे और 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। यह बैठक दोनों देशों के बीच मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में रिश्तों की मजबूती का प्रतीक मानी जा रही है।

2. व्यापार और रक्षा सहयोग पर फोकस
अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत और रूस व्यापार को नए तरीके से बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। समिट में छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर बनाने, ऊर्जा सहयोग और रक्षा साझेदारी पर गहन चर्चा होगी।

3. अमेरिका के दबाव के बीच बढ़ती सामरिक नजदीकियां
अमेरिका लगातार भारत पर रूस के साथ व्यापार कम करने का दबाव बना रहा है, लेकिन पुतिन-मोदी मुलाकात दोनों देशों के बीच रक्षा और आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर सकती है।

4. भारत-EEU FTA की दिशा में प्रगति
भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EEU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत पिछले हफ्ते तेज हुई है। EEU में रूस सहित पांच देश शामिल हैं। यह समझौता दोनों पक्षों के बीच टैरिफ घटाने और व्यापारिक बाधाएं कम करने में अहम साबित हो सकता है।

5. RELOS समझौते को रूसी संसद की मंजूरी
रूसी स्टेट ड्यूमा ने भारत-रूस के बीच RELOS समझौते को मंजूरी दे दी है। यह रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई देने वाला कदम माना जा रहा है। अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि भारत-रूस संबंध दशकों पुराने हैं और इस समझौते से साझेदारी और मजबूत होगी।

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