पंजाब सरकार का सख्त एक्शन ! लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में DSP समेत 7 पुलिस कर्मी किए सस्पेंड

लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में पंजाब सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व डीएसपी गुरशेर सिंह संधू समेत सात पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों पर 3 अप्रैल 2022 को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू की व्यवस्था करने का आरोप है।

Oct 26, 2024 - 09:24
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पंजाब सरकार का सख्त एक्शन ! लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में DSP समेत 7 पुलिस कर्मी किए सस्पेंड
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लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में पंजाब सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व डीएसपी गुरशेर सिंह संधू समेत सात पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों पर 3 अप्रैल 2022 को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू की व्यवस्था करने का आरोप है। यह इंटरव्यू उस समय हुआ जब बिश्नोई खरड़ के सीआईए पुलिस स्टेशन की हिरासत में था, और इसी कारण पुलिस की भारी आलोचना हुई थी। अब पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबन आदेश जारी कर दिया है।

जिन पुलिस अधिकारियों पर हुई कार्रवाई

सरकार द्वारा निलंबित किए गए अधिकारियों में डीएसपी समर वनीत, सब इंस्पेक्टर रीना, सब इंस्पेक्टर जगतपाल जांगू, सब इंस्पेक्टर शगनजीत सिंह, एएसआई मुख्तियार सिंह, और हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश शामिल हैं। यह निर्णय एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है, जिसमें इन अधिकारियों को इंटरव्यू व्यवस्था में दोषी पाया गया है। इस रिपोर्ट को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में डीजीपी प्रबोध कुमार ने जमा किया था, जिसके बाद पंजाब सरकार ने त्वरित कार्रवाई का निर्णय लिया।

SIT की जांच और रिपोर्ट का असर

लॉरेंस बिश्नोई का राष्ट्रीय चैनल को दिया गया इंटरव्यू वायरल होने के बाद पंजाब पुलिस को आलोचना झेलनी पड़ी थी। पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि यह इंटरव्यू पंजाब की जेल से नहीं, बल्कि बिश्नोई की पुरानी जेल से हुआ था। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया, जिसने 10 महीने तक इस मामले की गहन जांच की। मंगलवार को डीजीपी प्रबोध कुमार ने यह रिपोर्ट पंजाब सरकार को सौंपी थी, जिसमें इन अधिकारियों को दोषी ठहराया गया।

सरकार की सख्त नीति और आगे की कार्रवाई

पंजाब सरकार ने एसआईटी रिपोर्ट पर सख्त रुख अपनाते हुए तय किया कि इन आरोपियों पर 10 दिनों के भीतर सख्त कार्रवाई होगी। इस कार्रवाई से सरकार का उद्देश्य कानून व्यवस्था बनाए रखना और पुलिस बल के भीतर अनुशासन सुनिश्चित करना है। इस मामले के बाद लॉरेंस बिश्नोई को साबरमती जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।

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