पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने तोड़ी अंग्रेजों के समय की परंपरा, बदल गया कोर्ट में दस्तावेज सौंपने का तरीका
इससे हर साल हजारों कोर्ट में इस्तेमाल होने वाले कागजों की संख्या में कमी आएगी। वहीं, कागज बनाने में इस्तेमाल होने वाले हजारों पेड और करोड़ों लीटर पानी की भी बचत होगी।

चंद्रशेखर धरणी : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए अब याचिकाएं और हलफनामे किसी भी पेपर के दोनों ओर छपी हुई स्वीकार करना मंजूर कर लिया है। हाईकोर्ट ने लीगल पेपर के साथ-साथ अब ए4 कागज के इस्तेमाल व लीगल पेपर पर दोनों ओर प्रिंटिंग को स्वीकार कर लिया है। इससे हर साल हजारों कोर्ट में इस्तेमाल होने वाले कागजों की संख्या में कमी आएगी। वहीं, कागज बनाने में इस्तेमाल होने वाले हजारों पेड और करोड़ों लीटर पानी की भी बचत होगी।
चंडीगढ़ निवासी विवेक तिवारी व अंजलि ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट में ए-3 साइज की जगह ए-4 कागज का इस्तेमाल करने की मांग की थी। याचिका में हाईकोर्ट के साथ-साथ हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ की सभी अधीनस्थ अदालतों, ट्रिब्यूनल में दायर की जाने वाली याचिकाओं, हलफनामे या अन्य दस्तावेजों के लिए एक तरफ छपाई के साथ लीगल पेज (ए 3) के उपयोग करने की वर्तमान प्रथा पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह नियम दशकों पहले तैयार किए गए थे जब औपनिवेशिक समय था।
उस समय कागज की मोटाई और स्याही की गुणवत्ता के कारण कागज के एक तरफ ही छपाई होती थी। दूसरी तरफ स्याही के रिसाव के कारण उस पर प्रिंटिंग संभव नहीं थी, लेकिन अब पेपर प्रिंटिंग तकनीक और स्याही से संबंधित तकनीकों की प्रगति के चलते यह समस्या नहीं रही है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी इंडियन ज्यूडिशियरी एनुअल रिपोर्ट के अनुसार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक साल में करीब 3 करोड़ 9 लाख पन्नों का इस्तेमाल हुआ था। हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ की अदालतों को मिलाकर 30.54 करोड़ पन्ने इस्तेमाल किए गए थे।
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