कुरुक्षेत्र की धरा में देश की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने की संभावनाएं- गजेंद्र शेखावत

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि भारत की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए देश में केवल कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर ही अपार संभावनाएं है। इस विषय को लेकर कुरुक्षेत्र की पावन धरा से पूरे विश्व को आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझाया जा सकता है।

Dec 11, 2024 - 12:35
Dec 11, 2024 - 14:51
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कुरुक्षेत्र की धरा में देश की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने की संभावनाएं- गजेंद्र शेखावत
Gajendra Shekhawat
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एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि भारत की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए देश में केवल कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर ही अपार संभावनाएं है। इस विषय को लेकर कुरुक्षेत्र की पावन धरा से पूरे विश्व को आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझाया जा सकता है। इसलिए देश की भावी पीढ़ी को आस्था के साथ जोड़ने के लिए देश के सभी संतों और विद्वानों को बार-बार एक मंच पर बैठकर मंथन करना होगा।

गजेंद्र शेखावत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों से और केडीबी के तत्वाधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर आयोजित पहले अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में बोल रहे थे। इस दौरान मंच पर उपस्थित सभी संत जनों ने संकल्प भी लिया कि बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की रक्षा के लिए गीता जयंती दिवस पर गीता श्लोकों को समर्पित किया जाएगा। इस दौरान देश के 35 धामों से आए संतों ने अपने परिचय देने के साथ-साथ मंदिरों के प्रति युवाओं की आस्था फिर से बने, जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।

केंद्रीय मंत्री ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से स्वामी ज्ञानानंद महाराज की सोच के कारण देश के सभी प्रमुख धामों के संत और संचालक एक मंच पर एकत्रित हुए है। देश में शायद पहली बार संतों के अनूठे संगम को देखने का अवसर मिला है। यह अवसर कुरुक्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन अवसर पर देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि मंदिर केवल पूजा व अर्चना करने के स्थान मात्र नहीं है, अपितु सेवा, सद्भावना, स्वच्छता, संवेदनशीलता और भारत सरकार के प्रयासों से सशक्तिकरण का केंद्र भी है। इस देश में समय के परिवर्तन के साथ संतों ने विचार व्यक्त किए कि मंदिरों से युवा पीढ़ी विमुख हो रही है। इसके कारणों पर मंथन करने और युवाओं को सही राह पर लाने की शुरुआत इस सम्मेलन से हो चुकी है। यह सुझाव धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पावन धरा से उद्गम हुए हैं और आने वाले समय में सार्थक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामूहिक भूमिका अहम योगदान दे सकती है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से देश में काशी, केदारनाथ, उज्जैन, जगन्नाथ जैसे मंदिरों को भव्य और सुंदर बनाया गया। इससे देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से महोत्सव के दौरान अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन के आगाज से निश्चित ही एक नए युग का सूत्रपात होगा।

पहली बार देश के प्रमुख धामों के संतों के पड़े चरण -स्वामी ज्ञानानंद महाराज

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में पहुंचने पर संतों का स्वागत करते हुए कहा कि देश के 35 से ज्यादा धामों, तीर्थों और मठों के संतों और विद्वानों के चरण अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर कुरुक्षेत्र की धरा पर पड़ने से एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। यह देश में पहला ऐसा मौका है, जब सभी धामों के संतजन एक मंच पर एकत्रित हुए हो। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के इतिहास और कार्यक्रमों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस महोत्सव के अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार में विभिन्न देशों के शोधार्थियों ने 700 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए। इस महोत्सव से कुरुक्षेत्र का गौरव फिर से लौट आया है। इस पावन धरा गीता स्थली ज्योतिसर में वट वृक्ष करीब 8 वर्ष पूर्व समाप्त होने की कगार पर था, लेकिन 2 वर्ष पूर्व सरकार के प्रयासों से इस विरासत को सहेजने का काम किया गया है और अब केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत के माध्यम से कुरुक्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से और अधिक गति मिलेगी।

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