पंजाब में आज से शुरू होगी धान की खरीद, 1822 खरीद केंद्रों पर की जाएगी खरीद
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी खरीद व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए मंडियों का दौरा करने का फैसला किया है। सीएम मान ने चेतावनी दी कि वह अलग-अलग मंडियों में जाकर जांच करेंगे।
पंजाब में बाढ़ और बारिश के बीच 37 साल बाद मुश्किल हालात में मंगलवार से धान की खरीद शुरू होने जा रही है। इसके लिए सरकार ने 1822 खरीद केंद्र बनाए हैं। इस बार 190 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे आढ़तियों से मैपिंग के बाद ही मंडियों में फसल लेकर आएं, ताकि उन्हें बेचने में कोई दिक्कत न हो। बाढ़ और बारिश के कारण इस बार धान में नमी की समस्या होने वाली है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी खरीद व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए मंडियों का दौरा करने का फैसला किया है। सीएम मान ने चेतावनी दी कि वह अलग-अलग मंडियों में जाकर जांच करेंगे। अगर नमी के नाम पर किसानों के साथ किसी भी तरह की मनमानी की गई तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। फसल की गुणवत्ता और नमी की जांच के लिए आढ़तियों से मैपिंग जरूरी है। मंडी बोर्ड के अनुसार, मंडियों में बिजली, पेयजल समेत अन्य जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
सरकार ने बाढ़ प्रभावित सभी अनाज मंडियों को फिर से शुरू करने के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया है, ताकि रुके हुए पानी और गाद को हटाकर 19 सितंबर तक सभी मंडियों को खरीद सीजन के लिए पूरी तरह से चालू किया जा सके। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि कुछ मंडियों में बासमती की आवक शुरू हो गई है, लेकिन उसका रेट 1 से 12 हज़ार रुपये कम है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
शाम 6 बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइन से धान की कटाई पर प्रतिबंध
शाम 6 बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइन से धान की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई है। विभिन्न जिलों में डीसी द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए जा रहे हैं। मोहाली के डीसी ने सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। कंबाइन से कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों के प्रबंधन की समस्या है।
सरकार ने बनाई कार्य योजना
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना बनाई है, जिसके अनुसार धान की कटाई के दौरान 10 हज़ार से ज़्यादा फील्ड ऑफिसर तैनात किए जाएँगे। साथ ही, डीसी और एसएसपी खुद ज़मीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करेंगे। मंडी बोर्ड एक नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगा। पराली प्रबंधन के लिए 1,48,451 सीआरएम मशीनें उपलब्ध कराई जाएँगी।
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