पीएम मोदी की डिनर डिप्लोमेसी ने दिखाया दम, रूसी सेना में शामिल भारतीयों को छोड़ने के लिए पुतिन राजी

Jul 10, 2024 - 13:59
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पीएम मोदी की डिनर डिप्लोमेसी ने दिखाया दम, रूसी सेना में शामिल भारतीयों को छोड़ने के लिए पुतिन राजी
पीएम मोदी की डिनर डिप्लोमेसी ने दिखाया दम, रूसी सेना में शामिल भारतीयों को छोड़ने के लिए पुतिन राजी

मॉस्को पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने आवास पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी। 

इस बीच डिनर के दौरान पीएम मोदी ने रूस की सेना में भारतीय सैनिकों के फंसने का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 से 9 जुलाई तक रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 साल बाद रूस के 2 दिन के दौरे पर थे। राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी के लिए अपने आवास पर प्राइवेट डिनर रखा। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई, जिसमें बड़ा फैसला लिया गया है। 

दरअसल, रूस की सेना में भारतीयों की भर्ती के मामले पर डिनर के दौरान प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी और पुतिन ने बातचीत की है। पुतिन ने सभी भारतीयों को सेना से रिलीज करने पर सहमति भी दे दी है। 

इस निजी मुलाकात में PM मोदी ने रूसी सेना में शामिल 200 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की मांग रखी। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि इस मांग पर पुतिन राजी हो गए हैं। 

दरअसल, 200 से ज्यादा भारतीय रूसी सेना की ओर से यूक्रेन में जंग लड़ रहे हैं। इनमें से 4 इस जंग में जान गंवा चुके हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया के जरिए बाकी बचे भारतीय देश वापस लौटने की गुहार लगा रहे थे। 

अब PM मोदी और पुतिन की इस मुलाकात के बाद बचे भारतीय युवाओं के देश लौटने की उम्मीद बढ़ गई है। पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें भारतीयों को अच्छी नौकरी या पढ़ाई का झांसा देकर रूस भेज दिया गया था और वे यूक्रेन के खिलाफ लड़ने लगे। 

युद्ध में अब तक कम से कम 4 भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। यही कारण है कि भारत सरकार ने ऐसी भर्ती पर तत्काल रोक लगाने और रूसी सेना में लड़ रहे भारतीयों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा रूस के सामने उठाया।

बता दें कि इसी साल मई में सीबीआई ने धोखा देकर रूसी सेना में भर्ती कराने वाले मानव तस्करी नेटवर्क से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया था। 

एजेंसी ने कहा था कि इस नेटवर्क से जुड़े लोग युवाओं को आकर्षक नौकरी या विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने का वादा करके रूस ले जाते थे, ताकि उन्हें यूक्रेन में युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर किया जा सके। सीबीआई ने मार्च में बताया था कि इस तरीके से लगभग 35 पुरुषों को ठगा गया।

मई में गिरफ्तार किए गए चार भारतीय नागरिकों में एक अनुवादक, वीजा प्रक्रिया और एयरलाइन टिकटों की बुकिंग में मदद करने वाले एक व्यक्ति के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु के लिए दो 'मुख्य भर्तीकर्ता' शामिल थे। 

युद्ध में मारे गए दो भारतीय व्यक्तियों के परिवारों ने कहा है कि वे सेना में सहायक के रूप में काम करने की उम्मीद से रूस गए थे। भारत के अलावा अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी ऐसे तस्करी नेटवर्कों का खुलासा हुआ है। 

बता दें कि भारत ने कई कूटनीतिक प्रयास शुरू किए थे, लेकिन रूस की ओर से औपचारिक आश्वासन मिलना अभी बाकी था। प्रधानमंत्री मोदी की मॉस्को यात्रा में भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक था। 

इस पर रूसी राष्ट्रपति अपनी सेना में कार्यरत सभी भारतीयों को सेना से अलग करने और उनकी भारत वापसी में मदद करने पर सहमत हो गए।

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