संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से जुड़े विवाद के चलते केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर तीखी प्रतिक्रिया दी। रिजिजू ने कहा कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर पूरी तरह से चर्चा के लिए तैयार थी, लेकिन विपक्ष ने आख़िरी समय में नई शर्तें जोड़कर या अलग मुद्दे उठाकर चर्चा से बचने की कोशिश की। उन्होंने विपक्ष पर "यू-टर्न" लेने और संसद की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया।
मुख्य बिंदु:
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किरेन रिजिजू ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे चर्चा के दौरान "पाकिस्तान की भाषा" न बोलें और बहस को अनुशासन में रखें। उन्होंने कहा कि रामायण का हवाला देते हुए—"जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की, तो लंका जल गई। जब पाकिस्तान ने भारत द्वारा तय लाल रेखा पार की, तो आतंकी ठिकानों को उसी तरह जवाब मिला"।
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रिजिजू का कहना था कि संसद में चर्चा के लिए सरकार तैयार है, लेकिन चर्चा शुरू होने से ठीक पहले विपक्ष बहाने बनाकर हंगामा करता है या एजेंडा बदलता है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे स्वयं चर्चा से बच रहे हैं।
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संसद में सरकार से कौन बोलेगा, यह विपक्ष तय नहीं कर सकता, और विपक्ष से कौन बोलेगा, यह सरकार नहीं तय करेगी।
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विपक्ष के इस रवैये से रिजिजू खासे नाराज़ दिखे और उन्होंने इसे "विश्वासघात" या उचित प्रक्रिया का उल्लंघन बताया।