वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के विवाद में सोनिया गांधी के खिलाफ नोटिस जारी
सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, लेकिन याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी का दावा है कि उनका नाम 1980 में ही वोटर लिस्ट में दर्ज हो गया था
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के विवाद में नोटिस जारी किया है। यह मामला 1980 की वोटर लिस्ट से जुड़ा है, जब कथित रूप से उनकी नागरिकता प्राप्त करने से पहले उनका नाम नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था।
विवाद की पृष्ठभूमि
सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, लेकिन याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी का दावा है कि उनका नाम 1980 में ही वोटर लिस्ट में दर्ज हो गया था, जो 1982 में हटा और फिर 1983 में जोड़ा गया।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में मूल याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें एफआईआर की मांग की गई थी, लेकिन अब रिवीजन पिटीशन पर सेशंस कोर्ट ने नोटिस जारी कर सुनवाई तय की है। याचिका में फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल और वोटर रिकॉर्ड में हेराफेरी की जांच की मांग उठाई गई है।
कोर्ट की कार्रवाई
दायर रिवीजन पिटीशन पर अदालत ने सोनिया गांधी को नोटिस भेजा है, जिस पर 06 जनवरी को सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि बिना नागरिकता के वोटर लिस्ट में नाम शामिल करना चुनाव कानूनों का उल्लंघन है। यह विवाद बीजेपी नेता अमित मालवीय द्वारा अगस्त 2025 में सोशल मीडिया पर उठाए गए सवालों से शुरू हुआ था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस ने इसे पुराना और बेबुनियाद विवाद बताया है, जबकि विपक्ष इसे कानूनी जांच का मुद्दा बना रहा है। कोर्ट का फैसला तय करेगा कि क्या इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी या आगे जांच होगी। यह घटना भारतीय राजनीति में नागरिकता और चुनावी रिकॉर्ड्स पर बहस को हवा दे रही है।
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