नारायण सिंह चौड़ा मुझे भी मारना चाहता था- रवनीत बिट्टू ने किया खुलासा

सुखबीर बादल पर हुए हमले के बाद केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने बड़ा बयान दिया है।

Dec 4, 2024 - 15:37
Dec 4, 2024 - 17:50
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नारायण सिंह चौड़ा मुझे भी मारना चाहता था- रवनीत बिट्टू ने किया खुलासा
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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर हमला हुआ है। आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े नारायण सिंह चौरा ने सुबह करीब साढ़े नौ बजे उन पर गोली चलाने की कोशिश की। हालांकि पुलिस की सतर्कता के कारण सुखबीर सिंह बादल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। सुखबीर बादल पर हुए हमले के बाद केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने बड़ा बयान दिया है।

मुझे भी मारने की कोशिश की गई- बिट्टू

रवनीत बिट्टू ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल की जान इसलिए बच गई क्योंकि वह भगवान के घर (श्री हरिमंदिर साहिब) में थे। उन्होंने कहा कि हमलावर नारायण सिंह चौरा उनके दादा पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या में भी शामिल था। उसने गिरफ्तार आरोपियों को बुड़ैल जेल से भागने में मदद की थी।

बिट्टू ने यह भी कहा कि हमलावर नारायण सिंह चौरा 2009 में उन्हें भी मारने की कोशिश कर रहा था। वह उस समय अपनी कार में आरडीएक्स लेकर घूम रहा था।

SGPC प्रमुख ने की हमले की निंदा

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर हुए जानलेवा हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थान पर श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सौंपी गई ड्यूटी निभाते हुए सुखबीर को निशाना बनाना बहुत दुखद कृत्य है।

उन्होंने कहा कि हिंसक रवैये से किया गया यह हमला श्री दरबार साहिब की धार्मिक आभा पर हमला भी कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक दंड के आदेश का पालन करना हर सिख का कर्तव्य है, जिसका सुखबीर बादल पूरी श्रद्धा से पालन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह हमला जहां धर्म विरोधी मानसिकता का परिचायक है और अमानवीय कृत्य है, वहीं यह अकाल तख्त के आदेश की सीधी अवहेलना भी है।

बुड़ैल जेल ब्रेक का भी आरोपी है हमलावर

नारायण सिंह चौरा बब्बर खालसा संगठन से जुड़ा रहा है और चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है। इसके अलावा उस पर पाकिस्तान से भारी मात्रा में हथियार लाने का भी आरोप है। नारायण सिंह के खिलाफ करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं। पाकिस्तान में रहने के दौरान उन्होंने गुरिल्ला युद्ध और देश विरोधी साहित्य पर एक किताब भी लिखी थी।

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