महा शिवरात्रि 2025: महाकुंभ से लौटे नागा साधु, अब ये होगा अगला ठिकाना
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला इस समय अपने 27वें दिन में प्रवेश कर चुका है। 19 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ की समाप्ति 26 फरवरी को होगी। इस बीच, नागा साधुओं ने अपनी यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया है।

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला इस समय अपने 27वें दिन में प्रवेश कर चुका है। 19 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ की समाप्ति 26 फरवरी को होगी। इस बीच, नागा साधुओं ने अपनी यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया है। जहां एक ओर नागा साधुओं का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन हुआ था, वहीं इसके बाद 26 फरवरी तक महाकुंभ के विभिन्न स्नान पर्वों का आयोजन होगा।
नागा साधुओं की यात्रा और महाशिवरात्रि
महाकुंभ के तीन प्रमुख स्नान, जिनमें मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी शामिल हैं, समाप्त हो चुके हैं। अब नागा साधु वापसी की ओर बढ़ने लगे हैं। गुरुवार को कुछ अखाड़ों के नागा साधु प्रयागराज से प्रस्थान कर चुके हैं। वहीं, कुछ अखाड़े 12 फरवरी से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। कुछ अन्य साधु बसंत पंचमी के बाद चले गए थे। इन साधुओं के लिए महाशिवरात्रि विशेष महत्व रखती है। सात अखाड़ों के नागा साधु महाशिवरात्रि के मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचेंगे, जहां वे 26 फरवरी तक डेरा डालेंगे।
काशी में यह नागा साधु शोभायात्रा निकालेंगे, मसाने की होली खेलेंगे और गंगा स्नान करेंगे। इन कार्यक्रमों के बाद वे अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाएंगे। इन गतिविधियों के माध्यम से नागा साधु धार्मिक आस्था और समर्पण का प्रतीक बनते हैं।
नागा साधुओं का महाकुंभ में महत्व
नागा साधु एक विशिष्ट प्रकार के साधु होते हैं, जो सांसारिक सुख-सुविधाओं से दूर रहते हुए कठोर तपस्या करते हैं। वे जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में ध्यान लगाकर आत्मनिर्भरता की साधना करते हैं। महाकुंभ के समय, ये साधु तीर्थ स्थल पर एकत्र होते हैं और अमृत स्नान के पुण्य की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। अमृत स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है, और मान्यता है कि इसमें स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
प्रयागराज में महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को हुआ था, और इसके बाद अन्य दो प्रमुख स्नान मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर हुए। इन शाही स्नानों के बाद अब साधु अपनी साधना की ओर लौटने लगे हैं। अमृत स्नान के दौरान साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं, और स्नान के बाद वे अपने अखाड़ों में वापस लौट जाते हैं।
आने वाला महाकुंभ: नासिक 2027
महाकुंभ का आयोजन हर चार साल में एक बार होता है, और हर बार यह मेला अलग-अलग स्थानों पर आयोजित होता है। इस बार 2027 में नासिक में महाकुंभ होगा, जहां गोदावरी नदी के किनारे पर हजारों नागा साधु एकत्र होंगे। वहां भी महाकुंभ का धार्मिक महत्व और साधुओं की उपस्थिति देखने को मिलेगी।
महाकुंभ के दौरान साधुओं का यह विशिष्ट कार्यकाल और उनके द्वारा किए गए कठोर तपस्या के कार्य हमें धर्म, समर्पण और आस्था की शक्ति का अहसास कराते हैं। महाकुंभ के आयोजन में सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहरी छाप देखने को मिलती है, जो साधुओं की अनगिनत आस्थाओं, कड़ी साधना और तपस्या के साथ जुड़ी हुई है।
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