अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव : वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों और भारत के पारंपरिक लोक संगीत ने बांधा समां

इन प्रस्तुतियों को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा के कलाकार कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विशेष तौर लेकर पहुंचे है। महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है।

Dec 1, 2024 - 15:55
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव : वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों और भारत के पारंपरिक लोक संगीत ने बांधा समां
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एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : भारत के विभिन्न राज्यों के वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों और उनके मधुर संगीत ने ब्रह्मसरोवर का समां बांध कर रख दिया। इन वाद्य यंत्रों की धुनों और लोक गीतों को सुनने के लिए ब्रह्मसरोवर के दक्षिण तट पर दर्शकों का तांता लग गया। इन प्रस्तुतियों को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा के कलाकार कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विशेष तौर लेकर पहुंचे है। महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है।

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला की तरफ से ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के प्रथम चरण में जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़ राज्यों के कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को अपने नृत्यों और लोक गीतों के माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे है। यह कलाकार राउफ, कुल्लू नाटी, गाथा गायन, छपेली, शामी, गुदुम बाजा, करमा, राई और पंजाब के लुडी आदि लोक नृत्यों की प्रस्तुति दे रहे है। इन लोक नृत्यों में बजने वाले वाद्य यंत्र लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे है और लोक गीत दर्शकों के मन पर अपनी अनोखी छाप छोड़ रहे है। इन राज्यों की कला का संगम देखते ही बन रहा है और इस संगम को देखकर हर किसी के चेहरे पर उत्साह, जोश, साफ नजर आ रहा है।

एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह व राजेश बस्सी का कहना है कि एनजेडसीसी के निदेशक, केडीबी और प्रशासन के विशेष अनुरोध करने पर लोक कलाकारों को अलग-अलग चरणों में आमंत्रित किया गया है। पहले चरण में 28 नवंबर से विभिन्न राज्यों के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। इसके बाद अन्य राज्यों के कलाकार महोत्सव में पहुंचेंगे और अपने प्रदेशों के लोक नृत्यों की संस्कृति की छटा को बिखेरेंगे। देश के विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। इन कलाकारों के रहने, ठहरने सहित अन्य व्यवस्थाओं के पुख्ता प्रबंध किए गए है।

कच्ची घोड़ी के कलाकार कर रहे है पर्यटकों का मनोरंजन

एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष कच्ची घोड़ी के कलाकार पहुंचते है। यह कलाकार राजस्थान से संबंधित है और इस बार भी कच्ची घोड़ी का ग्रुप यहां पहुंचा है। इस ग्रुप के कलाकार लगातार राजस्थान की परंपरा अनुसार कच्ची घोड़ी का नृत्य कर रहे है। यह नृत्य लोगों को खूब भा रहा है। जब कच्ची घोड़ी के कलाकार शिल्प और सरस मेले में अपने नृत्य शुुर करते है तो युवाओं का हजूम एकत्रित हो जाता है, वह सभी युवा भी इन कलाकारों के साथ नृत्य करने में मदमस्त हो जाते है।

स्टीक वॉकर बने आकर्षण का केंद्र

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में एनजेडसीसी की तरफ से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्टिक वॉकर कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। स्टीक वॉकर अपने पैरों के नीचे बांस बांधकर अपनी हाइट को लंबा कर लेते है और इसके बाद पूरे मेले का भ्रमण करते है। यह स्टिक वॉकर निश्चित ही नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए खासतौर पर आकर्षण का केंद्र बने हुए है। कई मर्तबा तो स्टीक वॉकर बच्चों को अपने हाथों में भी उठा लेते है। यह कलाकार नियमित रूप से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे है।

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