हरियाणा की कई सीटों पर रहा निर्दलीयों का दबदबा, पार्टियों से उतरे दिग्गजों को खानी पड़ी शिकस्त

हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। ऐसे में जहां दिन-प्रतिदिन चुनावी प्रचार जोर पकड़ रहा है। वहीं, सभी राजनीतिक दलों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

Sep 20, 2024 - 11:17
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हरियाणा की कई सीटों पर रहा निर्दलीयों का दबदबा, पार्टियों से उतरे दिग्गजों को खानी पड़ी शिकस्त

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। ऐसे में जहां दिन-प्रतिदिन चुनावी प्रचार जोर पकड़ रहा है। वहीं, सभी राजनीतिक दलों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है। हर कोई अपने-अपने जोड़ तोड़ में लगा हुआ है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में कुछ ऐसी सीट भी हैं, जहां निर्दलीय प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। चलिए अब उन सीटों के बारे में जानते है, जिन पर निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा रहा है।

चार बार जीत चुके निर्दलीय

पलवल जिले में आने वाली हथीन विधानसभा सीट से अब तक 4 बार निर्दलीय उम्मीदवार अपनी जीत दर्ज करा चुके हैं। इनमें 1968 में सबसे पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हेमराज ने जीत दर्ज की थी। उस समय हेमराज ने कांग्रेस प्रत्याशी देवी सिंह तेवतियां को हराया था। इसके बाद 1972 में निर्दलीय रामजी लाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए हेमराज को हराकर जीत हासिल की थी। इसी प्रकार से 2005 में निर्दलीय प्रत्याशी हर्ष कुमार ने कांग्रेस के जलेब खान को हराकर जीत हासिल की। 2009 में जलेब खान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे हर्ष कुमार को हराकर जीत हासिल की थी।

1968 के बाद से लगातार जीत रहे निर्दलीय

कैथल जिले की पुंडरी विधानसभा में 1968 के चुनाव से लगातार आजाद प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में जीत हासिल कर रहे हैं। इस सीट से अब तक कुल 7 बार आजाद प्रत्याशी जीत दर्ज कर चुके हैं, जिनमें 6 बार लगातार आजाद उम्मीदवार जीते हैं। 1968 के चुनाव में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ईश्वर सिंह ने कांग्रेस के तारा सिंह को हराया था। उसके बाद 1996 में कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे ईश्वर सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी नरेंद्र शर्मा ने चुनावी मैदान में पटखनी दी थी। 2000 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी तेजवीर ने जीत हासिल की। 2004 में निर्दलीय दिनेश कौशिक ने कांग्रेस के नरेंद्र सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। अगले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बने दिनेश कौशिक को निर्दलीय प्रत्याशी सुल्तान ने हराकर जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में निर्दलीय रणधीर गोलन ने कांग्रेस के सतबीर भाणा को हराकर जीत हासिल की।

पांच बार जीते निर्दलीय प्रत्याशी

नूंह विधानसभा सीट पर पहली बार 1967 में आजाद उम्मीदवार रहीम खान जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के केके अहमद को हराया था। 1972 में फिर से रहीम खान ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के खुरहेद अहमद को हराया था। इसके 10 साल बाद 1982 में फिर से आजाद उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर रहीम खान ने कांग्रेस के सरदार खान को हराया। इसके बाद 1989 में आजाद उम्मीदवार हसन मोहम्मद ने जीत दर्ज की। 2005 में यहां से फिर निर्दलीय प्रत्याशी हबीब उर रहमान ने जीत हासिल की।

एससी सीट पर भी निर्दलीय का दबदबा

एससी वर्ग के लिए रिजर्व करनाल जिले की नीलोखेड़ी सीट से अब तक 5 बार निर्दलीय प्रत्याशी जीत चुके हैं। मौजूदा विधायक घर्मपाल गोंदर ने भी पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर यहां से जीत दर्ज की थी। यहां पर पहली बार 1968 में चंदा सिंह ने बतौर आजाद उम्मीदवार जीत दर्ज की थी। इसके बाद फिर से 1982 में भी चंदा सिंह ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार 1987 और 1991 में लगातार दो बार जय सिंह राणा ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की।

2019 में जीते थे 7 निर्दलीय विधायक

2019 के विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा में 7 निर्दलीय विधायकों ने जीत दर्ज की थी। इनमें महम से बलराज कुंडू, पुंडरी से रणधीर गोलन, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, रानियां से रणजीत सिंह, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, पृथला से नयन पाल रावत और दादरी से सोमवीर सांगवान शामिल थे।

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