अगर राजनीतिक दलों ने नहीं किए पूरे वादे तो क्या ECI लेगा एक्शन? जानें
बुधवार को कांग्रेस ने हरियाणा की जनता से 7 बड़े वादे किए हैं। 53 पन्नों के घोषणापत्र में महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये देने, पेंशन बढ़ाकर 6 हजार करने, 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने और 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने समेत कई वादे किए गए हैं।
सोचिए अगर राजनीतिक दल चुनाव में किए गए वादों को पूरा नहीं करेंगे तो क्या होगा? एक बार फिर यह सवाल चर्चा में आ गया है क्योंकि हरियाणा में राजनीतिक दल मैदान में उतर आए हैं। कांग्रेस के बाद अब बीजेपी ने भी अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। बुधवार को कांग्रेस ने हरियाणा की जनता से 7 बड़े वादे किए हैं। 53 पन्नों के घोषणापत्र में महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये देने, पेंशन बढ़ाकर 6 हजार करने, 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने और 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने समेत कई वादे किए गए हैं।
कांग्रेस के बाद बीजेपी ने गुरुवार को जारी अपने संकल्प पत्र में कई वादे किए। दावा किया गया है कि राज्य में सरकार बनने पर बीजेपी अग्निवीर को सरकारी नौकरी और महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देगी। इसके अलावा भी कई बड़े ऐलान किए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर राजनीतिक दल अपने वादे से मुकर गए तो क्या होगा?
घोषणापत्र के वादे और दिशा-निर्देश
घोषणापत्र, संकल्प पत्र और घोषणापत्र... तीनों एक ही चीज हैं। यह वह दस्तावेज है, जिसे चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल जारी करते हैं। इसके जरिए वे बताते हैं कि सत्ता में आने पर वे जनता के लिए क्या करेंगे। कैसे सरकार चलाएंगे। सरल शब्दों में कहें तो वादों का लालच देकर लोगों से वोट मांगे जाते हैं।
घोषणापत्र तैयार करने के लिए पार्टियां एक खास टीम बनाती हैं, जो उस राजनीतिक दल की नीतियों को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार करती है। इसे लेकर पार्टी पदाधिकारियों के बीच चर्चा होती है और उसके बाद भी इसे जारी किया जाता है।
कई बार राजनीतिक दलों ने घोषणापत्र में मुफ्त चीजें बांटने को भी शामिल किया है। इसे लेकर कई बार मामला उठाया जा चुका है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इसके बाद शीर्ष अदालत के निर्देश पर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सभी राजनीतिक दलों के लिए एक गाइडलाइन बनाई। साल 2013 में चुनाव आयोग ने आचार संहिता में चुनाव घोषणापत्र से जुड़ी कई बातें गाइडलाइन में जोड़ीं।
यह है गाइडलाइन
गाइडलाइन में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को ऐसे वादे करने से बचना होगा जो चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं या मतदाताओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। राजनीतिक दल अपने संकल्प पत्र या घोषणापत्र में केवल वही वादे करेंगे जिन्हें पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा उन्हें यह भी बताना होगा कि इन वादों को पूरा करने के लिए वे पैसा कहां से लाएंगे।
अगर वादे पूरे नहीं हुए तो क्या होगा?
चुनाव आयोग ने एक गाइडलाइन बनाई है। इसमें कई बार बदलाव भी किए हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर कोई राजनीतिक दल अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं करता है तो चुनाव आयोग क्या कर सकता है? क्या उसे किसी तरह की कार्रवाई करने का अधिकार है?
चुनाव आयोग ने एक आरटीआई के जरिए इस सवाल का जवाब दिया। आयोग का कहना है कि अगर चुनाव घोषणापत्र पर अमल नहीं होता है तो हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। आयोग इस बारे में राजनीतिक दल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। वह राजनीतिक दल को इसे लागू करने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकता। हालांकि, चुनाव आयोग ने कई बार राजनीतिक दलों को आसमान से तारा तोड़ने जैसे वादे करने से बचने की हिदायत दी है।
आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी चुनाव घोषणापत्र के लिए गाइडलाइन मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से चर्चा करने के बाद ही तय की गई है।
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