मरते-मरते तीन लोगों को दे दिया नया जीवन, ब्रेन डेड व्यक्ति ने बचाई तीन लोगों की जान

अस्पताल के डयक्टर नीरज ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास चंडीगढ़ सेक्टर-28 निवासी सुदेश कुमार को घायल हालत में लाया गया था। बाजार में किसी सड़क दुर्घटना में वह घायल हो गए थे।

Dec 1, 2024 - 12:59
Dec 1, 2024 - 13:00
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मरते-मरते तीन लोगों को दे दिया नया जीवन, ब्रेन डेड व्यक्ति ने बचाई तीन लोगों की जान
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : आज के समय में जहां एक इंसान केवल अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचता है। ऐसे में चंडीगढ़ सेक्टर-28 के एक परिवार ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिससे ना केवल तीन लोगों की जान बच पाई, बल्कि उन्हें नया जीवन भी मिल पाया है। दअरसल, अलकेमिस्ट अस्पताल सेक्टर 21  से एक व्यक्ति का ब्रेन डेथ होने के बाद उसके काम कर रहे अंग दिल्ली एवं रोहतक भेज गए।

अस्पताल के डयक्टर नीरज ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास चंडीगढ़ सेक्टर-28 निवासी सुदेश कुमार को घायल हालत में लाया गया था। बाजार में किसी सड़क दुर्घटना में वह घायल हो गए थे। अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से सुदेश कुमार को बचाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन उनकी ब्रेन डेथ हो चुकी थी। इस बारे में उन्होंने सुदेश कुमार के परिजनों को बताया कि उनकी ब्रेन डेथ हो चुकी है, इसलिए भविष्य में उनका बचना मुशकिल होगा। परिजनों ने आपस में बातचीत की। उन्हें अंगदान के बारे में जानकारी थी।

सुदेश कुमार की पत्नी ने साहस किया और कहा कि वह अपने पति के अंगदान करवाकर गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नया जीवन देना चाहती है। सुदेश कुमार की ब्रेन डेथ के बाद बॉडी के अन्य अंग काम कर रहे थे। परिवार जान चुका था कि उनका आगे का जीवन संभव नहीं था। परिवार ने अस्पताल से विचार-विमर्श करके उनके अंगदान करने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद 28 नवंबर को मरणोपरांत अंगदान करवाने की पूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई, जिसे 29 नवंबर को पूरा कर लिया गया। उनके ठीक अंग हार्वेस्ट किए गए। अलकेमिस्ट अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट के वरिष्ठ सर्जन डॉ. नीरज ने बताया कि सुदेश कुमार के अंग से तीन गंभीर रूप से जूझ रहे मरीजों को नया जीवन मिलेगा।

सुदेश कुमार का लीवर मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली भेजा गया है। एक किडनी रोहतक में मरीज को दी जाएगी। एक किडनी अल्केमिस्ट अस्पताल में ही ट्रांसप्लांट की जाएगी, जोकि डायलिसिस पर अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। उन्होंने कहा कि सुदेश कुमार के परिवार ने एक संदेश दिया है कि अंगदान से बढ़कर कोई दान नहीं हो सकता। डॉ. नीरज ने कहा कि मृत्यु के बाद भी एक व्यक्ति 8 से 10 लोगों का जीवन बचा सकता है।

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