पर्यावरण संरक्षण के लिए दिल्ली सरकार के प्रयास, अब दिल्ली विधानसभा होगी पेपरलेस
इस समझौते के साथ, दिल्ली नेवा परियोजना को लागू करने के लिए मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला 28वां राज्य बन गया है।

दिल्ली विधानसभा के कामकाज को पेपरलेस बनाने की चल रही कवायद के तहत आज इसकी आधारशिला रखी जाएगी। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता आज शाम दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की मौजूदगी में दिल्ली विधानसभा को पेपरलेस बनाने की योजना की आधारशिला रखेंगे।
दिल्ली बनेगा NeVA प्लेटफॉर्म से जुड़ने वाला 28वां राज्य
दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) को लागू करने के लिए भारत सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस समझौते के साथ, दिल्ली नेवा परियोजना को लागू करने के लिए मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला 28वां राज्य बन गया है।
यह समझौता दिल्ली विधानसभा को कागज रहित और विधायी प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए किया जा रहा है। संसदीय कार्य मंत्रालय के मार्गदर्शन में विकसित नेवा प्लेटफॉर्म विधायी कार्यों को अधिक कुशल, डिजिटलीकरण, दस्तावेजों को वास्तविक समय में उपलब्ध कराने और सदस्यों और सचिवालय के बीच सुचारू समन्वय स्थापित करके सुलभ बनाता है। इस प्रणाली को अपनाने से दिल्ली विधानसभा कागज की खपत को कम करने, कामकाज को सरल बनाने और डिजिटल संसाधनों के साथ विधायी सदस्यों को सशक्त बनाने में सक्षम होगी।
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के अनुसार, जुलाई में मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के कामकाज को कागज रहित बनाने का लक्ष्य रखा गया है। विधायक को जो भी एजेंडा और प्रस्ताव आदि दिए जाएंगे, वे सॉफ्ट कॉपी होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के "एक भारत, एक एप्लीकेशन" दृष्टिकोण को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि कामकाज में आसानी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी विधानसभाओं में डिजिटल शासन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
जानें क्या है परियोजना
वर्ष 2015 में देश की विधानसभाओं को डिजिटल बनाने के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) परियोजना शुरू की गई थी। इसके तहत देश की सभी विधानसभाओं में कामकाज को डिजिटल और पेपरलेस बनाया जाना था। लेकिन 10 साल बीत जाने के बावजूद अब तक दिल्ली विधानसभा में इसे लागू नहीं किया जा सका है।
दिल्ली विधानसभा देश की एकमात्र विधानसभा है, जहां ई-विधान एप्लीकेशन परियोजना को लागू करने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गई है। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से 100 प्रतिशत धनराशि मुहैया कराई जा रही थी, लेकिन 2019 में आप सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली वित्तीय और तकनीकी मदद लेने से इनकार कर दिया।
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