सोनभद्र खनन हादसे में मौत का आंकड़ा बढ़ा, अब तक 7 लोगों की हुई मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
प्रशासन के अनुसार, बरामद सात शवों में से छह की पहचान हो गई है, जबकि एक शव बुरी तरह क्षत-विक्षत है, जिससे उसकी पहचान मुश्किल हो रही है। जिलाधिकारी समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और रात भर बचाव अभियान जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के ओबरा थाना क्षेत्र स्थित कृष्णा माइंस वर्क्स में रविवार शाम हुए भीषण हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है। बचाव दल ने मंगलवार देर शाम मलबे से एक और शव बरामद किया, जिससे अब तक बरामद श्रमिकों की कुल संख्या 7 हो गई है। SDRF, NDRF, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें लगातार बचाव एवं राहत कार्यों में लगी हुई हैं।
प्रशासन के अनुसार, बरामद सात शवों में से छह की पहचान हो गई है, जबकि एक शव बुरी तरह क्षत-विक्षत है, जिससे उसकी पहचान मुश्किल हो रही है। जिलाधिकारी समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और रात भर बचाव अभियान जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
हादसे के बाद, सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मिर्जापुर, वाराणसी और भदोही से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। भीड़भाड़ को रोकने और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए आसपास के इलाकों में बैरिकेडिंग भी बढ़ा दी गई है।
जिलाधिकारी के हलफनामे पर सवाल
इस बीच, इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिलाधिकारी का पिछला हलफनामा, जिसमें कहा गया था कि खदान में खनन मानकों के अनुरूप हो रहा था, अब विवाद का केंद्र बन गया है। स्थानीय निवासियों और अधिवक्ताओं का आरोप है कि कृष्णा माइंस वर्षों से नियमों का उल्लंघन करते हुए काम कर रही थी, और दुर्घटना तो बस समय की बात थी।
दुर्घटना पर जनाक्रोश
ऐसी आशंका है कि इस दुर्घटना में प्रभावशाली सफेदपोश व्यक्ति और अवैध खनन में शामिल खनन माफिया शामिल हो सकते हैं। नतीजतन, यह मामला केवल एक औद्योगिक दुर्घटना न होकर, एक बड़े नेटवर्क की जाँच का विषय बन गया है।
फिलहाल, प्रशासन का कहना है कि प्राथमिकता बचाव अभियान पूरा करना और मलबे में दबे अन्य श्रमिकों की तलाश करना है। इस दुर्घटना ने क्षेत्र में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है, जबकि स्थानीय लोग दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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