फर्जी एनकाऊंटर में 2 पूर्व पुलिस अधिकारियों को कोर्ट ने सुनाई सजा, 32 साल पहले का है मामला 

यह मामला 1993 का है, जब तरनतारन में दो युवकों गुरदेव सिंह उर्फ देबा और सुखवंत सिंह को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था।

Mar 6, 2025 - 18:06
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फर्जी एनकाऊंटर में 2 पूर्व पुलिस अधिकारियों को कोर्ट ने सुनाई सजा, 32 साल पहले का है मामला 
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पंजाब के तरनतारन में 32 साल पहले हुए एक फर्जी एनकाउंटर मामले में न्याय की गाज गिरी है। मोहाली की सीबीआई अदालत ने इस मामले में दो पूर्व पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है और उनकी सजा का ऐलान 6 मार्च को हुआ है। इस मामले में तत्कालीन एसएचओ सीता राम और कॉन्स्टेबल राजपाल को दोषी पाया गया है।

यह मामला 1993 का है, जब तरनतारन में दो युवकों गुरदेव सिंह उर्फ देबा और सुखवंत सिंह को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था। पुलिस ने दोनों को उनके घरों से जबरन उठाया था। गुरदेव सिंह को 30 जनवरी 1993 को और सुखवंत सिंह को 5 फरवरी 1993 को अगवा किया गया था। बाद में पुलिस ने दावा किया कि दोनों की मौत 6 फरवरी 1993 को एक पुलिस मुठभेड़ में हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1995 में सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि पुलिस का दावा पूरी तरह से झूठा था। सीबीआई ने 2000 में 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। अदालत ने इस मामले में पट्टी पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ सीता राम को आईपीसी की धारा 302, 201 और 218 के तहत दोषी पाया है, जबकि कॉन्स्टेबल राजपाल को आईपीसी की धारा 201 और 120-B के तहत दोषी ठहराया गया है। अदालत ने पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है।

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