हरियाणा की हार पर कांग्रेस दिग्गज मुख्यमंत्री ने उठाए सवाल, जानिए क्या बताए हार के कारण ?
सोनिया गांधी या राहुल गांधी की जगह हरियाणा के नेताओं ने लोकल फैक्टर पर वोट मांगे, जिस वजह से जाट वर्सेज नॉन जाट जैसे मुद्दे बन गए।उन्होंने हरियाणा के नेताओं को नसीहत भी दी कि लोकल फैक्टर पर चुनाव लड़ने में पसंद-नापसंद स्ट्रॉन्ग रहती है।
चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर अभी तक पार्टी के दिग्गज नेताओं की ओर से बयानबाजी की जा रही है। अब तेलंगाना से कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का बयान सामने आया है। उन्होंने हरियाणा के लोकल नेताओं के चुनाव लड़ने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं।रेड्डी ने कहा कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी की जगह हरियाणा के नेताओं ने लोकल फैक्टर पर वोट मांगे, जिस वजह से जाट वर्सेज नॉन जाट जैसे मुद्दे बन गए।उन्होंने हरियाणा के नेताओं को नसीहत भी दी कि लोकल फैक्टर पर चुनाव लड़ने में पसंद-नापसंद स्ट्रॉन्ग रहती है।
उन्होंने एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम के दौरान इस पर खुलकर बात रखी। तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी ने कहा- हरियाणा को कंपेयर करके बोलने वाला हूं। बाकी का मैंने ज्यादा स्टडी नहीं किया है। तेलंगाना में हम लोगों ने मेहनत की।
हमने सोनिया गांधी के नाम पर हार्डवर्क किया। हमने सोनिया गांधी के नाम पर वोट मांगा। 60 साल के बाद उन्होंने तेलंगाना को एक शब्द दिया कि मैं आपके सपनों को पूरा करूंगी। उन्होंने अपना कमिटमेंट निभाया है।मैं मेहनत कर रहा हूं, मैं सिपाही हूं लेकिन मेरी नेता सोनिया गांधी हैं। वोट देना है तो सोनिया गांधी को वोट दो।
हरियाणा में परसेप्शन क्रिएट करने वाला काम हुआ। यहां चर्चा हो गई जाट वर्सेज नॉन जाट या और भी अलग-अलग।अगर राहुल गांधी के नाम पर वोट मांगते। उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर और मणिपुर से मुंबई तक पदयात्रा की। अगर हरियाणा जीते तो राहुल गांधी इस देश के नेता बनेंगे। देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। अगर यह नारा लेकर हरियाणा में चुनाव लड़ते तो ये सब माहौल नहीं बनता।
हरियाणा में लोकल फैक्टर पर चुनाव लड़ने की कोशिश की गई। मगर, लोकल फैक्टर में पसंद और नापसंद स्ट्रॉन्ग रहती है।उन्होंने पूछा कि क्यों सरपंच इलेक्शन में भी BJP वाले नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगते हैं। सरपंच से मोदी को क्या लेना-देना है। सोसाइटी के चुनाव में भी वह कहते हैं कि मोदी को वोट दो।
इसका पूरा मतलब यह है कि लोकल फैक्टर से उबरने के लिए आपको एक ब्रांड की जरूरत है।इस देश में दो ही परिवार हैं, मोदी परिवार वर्सेज गांधी परिवार। मोदी जी का संघ परिवार और दूसरा महात्मा गांधी का परिवार। अगर यह परसेप्शन क्रिएट किया जाता तो लोग अपने आप फैसला करते।
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