BIG BREAKING: महाराष्ट्र में BJP का खुला खाता , जानिए कौन जीता
महायुति पूरे चुनाव के दौरान एकजुट नजर आई और सभी सहयोगी चुनावी एजेंडे पर एकजुट रहे। चुनाव से पहले सीएम के चेहरे को लेकर तनातनी और बयानबाजी ने भी अघाड़ी की गाड़ी पर ब्रेक लगा दिया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई है, महायुति ने महाराष्ट्र की सत्ता में आने के लिए बहुमत का आंकड़ा 200 यानी 145 से ज्यादा पार कर लिया है, बीजेपी 125, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार भी ताकतवर बनकर उभरे। NCP का स्ट्राइक रेट 70 फीसदी से ज्यादा रहा। उन्होंने विधानसभा में चाचा शरद पवार को पीछे छोड़ दिया। महाराष्ट्र चुनाव में अघाड़ी की पूरी तरह से हार हुई, महाविकास अघाड़ी का कोई भी दल 28 का आंकड़ा नहीं छू सका, जो विपक्ष के नेता की सीट के लिए जरूरी है। उद्धव ठाकरे ने इस जनादेश पर आश्चर्य जताया, महाराष्ट्र चुनाव में इस प्रचंड जीत की सबसे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव में महायुति की हार है, जिसके बाद बीजेपी ने अचानक अपनी रणनीति बदल दी। महायुति पूरे चुनाव के दौरान एकजुट नजर आई और सभी सहयोगी चुनावी एजेंडे पर एकजुट रहे। चुनाव से पहले सीएम के चेहरे को लेकर तनातनी और बयानबाजी ने भी अघाड़ी की गाड़ी पर ब्रेक लगा दिया।
महाराष्ट्र में प्रचंड जीत दर्ज करने जा रही बीजेपी ने वडाला सीट जीत ली है। बीजेपी के कालिदास नीलकंठ कोलंबकर ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) उम्मीदवार श्रद्धा श्रीधर जाधव को 24973 वोटों से हरा दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों की गिनती जारी है, अब रुझानों में तस्वीर साफ होती जा रही है। राज्य में महायुति ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है और 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली है। राज्य में महायुति की लहर दिखाई दे रही है, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ जश्न मनाते नजर आ रहे हैं। चुनाव आयोग के आधिकारिक रुझानों के मुताबिक, महायुति गठबंधन एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने जा रहा है।
1. लाडली बहनों ने महायुति को वोट देकर समर्थन दिया
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शिंदे सरकार ने लाडली बहना योजना शुरू की थी, जिसमें महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए दिए जाते थे। चुनाव प्रचार के दौरान महायुति ने इस राशि को बढ़ाकर हर महीने 2100 रुपए करने का वादा किया था। इसके अलावा किसानों की कर्जमाफी का भी वादा किया गया था। महायुति के तीनों घटकों ने लाडली योजना को हर तरह से भुनाने की कोशिश की। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके प्रचार पर 200 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 20 नवंबर को एक किस्त भी जारी कर दी गई। चुनाव में इसका असर यह हुआ कि महिलाएं वोट डालने निकलीं। धुले में महिलाओं ने देर रात तक वोट किया।
2. एकनाथ शिंदे बने ट्रंप कार्ड, किया कमाल
उद्धव ठाकरे की सरकार गिराकर सीएम बने एकनाथ शिंदे इस चुनाव के ट्रंप कार्ड बनकर उभरे। उद्धव के गुट की ओर से 'गद्दार' और 'धोखेबाज' की आलोचना झेलने के बाद उन्होंने ढाई साल में विकास करने वाले और आम लोगों के बीच रहने वाले नेता की छवि बनाई। उन्होंने हमेशा बाल ठाकरे की तस्वीर को अपने साथ रखा और यह दिखाने में सफल रहे कि सत्ता के लिए उद्धव ठाकरे अपने आदर्शों को भूल गए हैं। एक अनुभवी राजनेता की तरह शिंदे ने चुनाव से पहले तय कर लिया था कि महायुति सरकार के लिए वे अपनी कुर्सी का त्याग कर सकते हैं। लाडली बहन योजना, बेरोजगारों को भत्ता जैसी योजनाओं के कारण वे देवेंद्र फडणवीस और उद्धव से ज्यादा लोकप्रिय सीएम साबित हुए। टिकट बंटवारे के दौरान भी वे बीजेपी के सामने कभी कमजोर नहीं दिखे और सभी भरोसेमंद लोगों को टिकट दिए।
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