दिल्ली सरकार के नॉन-ऑफिशियल स्टाफ पर गिरी गाज, निजी स्टाफ की सेवाएं खत्म
दिल्ली की रेखा सरकार ने सभी मंत्रियों के निजी स्टाफ को हटा दिया है। पूर्व सरकारों ने जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को दूसरे विभागों में नियुक्ति किया था. उनको तुरंत अपने मूल विभागों में रिपोर्ट करने को कहा गया है।

दिल्ली की रेखा सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी नॉन-ऑफिशियल स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इस फैसले के तहत विभिन्न विभागों, मंत्रियों और अधिकारियों के साथ कार्यरत निजी स्टाफ को तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है। सरकार के इस कदम से कई कर्मचारियों की नौकरी पर असर पड़ा है, जिससे वे असमंजस में हैं।
क्या है मामला?
दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में निजी स्टाफ (नॉन-ऑफिशियल कर्मी) बतौर सलाहकार, सहायक और अन्य पदों पर काम कर रहे थे। इन्हें बिना किसी सरकारी प्रक्रिया के प्रत्यक्ष रूप से नियुक्त किया गया था। अब सरकार ने अचानक इनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया, जिससे कई कर्मियों को झटका लगा है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय प्रशासनिक नियमों और सरकारी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। कई विभागों में बिना किसी स्पष्ट प्रक्रिया के निजी कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गई थी, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे थे। सरकार ने यह कदम नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और सरकारी संसाधनों के सही उपयोग के लिए उठाया है।
किन कर्मचारियों पर पड़ेगा असर?
इस फैसले के चलते:
✔ विभिन्न मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों के निजी सचिव, सलाहकार और अस्थायी सहायक प्रभावित होंगे।
✔ दिल्ली सचिवालय सहित विभिन्न सरकारी कार्यालयों में कार्यरत नॉन-ऑफिशियल स्टाफ को हटाया जाएगा।
✔ संविदा (contract-based) कर्मचारियों पर भी असर पड़ सकता है, जिनकी नियुक्ति बिना निर्धारित प्रक्रिया के हुई थी।
सरकारी दलील और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह फैसला प्रशासनिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने और सरकारी नियमों का पालन करने के लिए लिया गया है। हालांकि, इससे प्रभावित कर्मचारियों में नाराजगी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि वे वर्षों से काम कर रहे थे और अचानक सेवाएं समाप्त होने से उनके करियर पर असर पड़ेगा।
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