स्वामीनाथन के निधन पर केंद्रीय मंत्रियों ने जताया दुख, योगदान को किया याद

देश में हरित क्रांति के जनक मशहूर कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर कई केंद्रीय मंत्रियों ने गहरा दुख जताते हुए कहा है कि देश की कृषि सुरक्षा सुनिश्चित करने में उन्होंने महती भूमिका निभाई थी।

एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक बयान में 98 वर्षीय स्वामीनाथन के निधन की जानकारी दी। उन्होंने चेन्नई स्थित अपने आवास पर सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।

खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने अपने शोक संदेश में स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा, ‘‘वह भारतीय हरित क्रांति के जनक थे। कृषि क्षेत्र में उनके अनवरत प्रयासों ने देश को खाद्य सुरक्षा हासिल करने में मदद की।’’

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने भी पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. स्वामीनाथन के निधन पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा, ‘‘वह एक दूरद्रष्टा कृषि वैज्ञानिक थे और भारत की हरित क्रांति के सूत्रधार थे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदना उनके परिवार और दोस्तों के साथ है। ओम शांति।’’

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनके महान योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना। ओम शांति।’’

सात अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में जन्मे स्वामीनाथन ने साठ और सत्तर के दशकों में देश को कृषि उपज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान दिए गए थे।

स्वामीनाथन को वर्ष 2004 में राष्ट्रीय कृषक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस आयोग ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उपज की औसत भारित लागत का कम-से-कम 50 प्रतिशत रखे जाने की वकालत की थी।