सीईसी राजीव कुमार ने ईवीएम की आलोचना का खंडन करने के लिए दोहे का इस्तेमाल किया

 मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के आलोचकों पर कटाक्ष करने के लिए शनिवार को एक दोहे का इस्तेमाल किया और कहा कि आयोग को अक्सर ‘‘अधूरी इच्छाओं’’ के लिए विपरीत टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है।

कुमार ने सात चरणों में लोकसभा चुनाव की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो, और बाद में जब परिणाम आता है तो उस पर कायम भी नहीं रहते।’’

कुमार ने शुक्रवार रात को यह दोहा लिखा था, जिसका मतलब यह है कि जब किसी ने अपना काम ठीक से नहीं किया है तो अपनी अधूरी इच्छाओं के लिए चुनाव आयोग को दोष देना उचित नहीं है।

उन्होंने अपने तर्क को स्पष्टता प्रदान करने के लिए कहा कि ईवीएम से हुए चुनाव में सत्ताधारी दलों को भी हार का सामना करना पड़ा है।

सीईसी ने निश्चित तौर पर कटु आलोचनाओं वाले चुनाव अभियान की आशंका जताते हुए राजनीतिक दलों और नेताओं से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और मिथ्यापवाद से परहेज करें।

उन्होंने बशीर बद्र का एक शेर उद्धृत किया: ‘‘दुश्मनी जम के करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाए तो शर्मिंदा न हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप कट्टर दुश्मन हो सकते हैं, लेकिन दोस्त बनने पर शर्मिंदा न होने की गुंजाइश होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इन दिनों ‘दुश्मनों’ के दोबारा ‘दोस्त’ बनने के कई मामले सामने आ रहे हैं।

सीईसी ने रहीम के एक दोहे को भी उद्धृत किया: ‘‘रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय, टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ी जाए।’’

इसका मोटे तौर पर मतलब यह है कि प्रेम संबंध यदि एक बार टूट जाएं तो दोबारा जुड़ते नहीं हैं और अगर जुड़ भी जाए तो गांठ पड़ ही जाते है।

चुनाव के दौरान फर्जी खबरों को लेकर कुमार ने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे ऐसी असत्यापित जानकारी साझा न करें।

उन्होंने कहा, ‘‘झूठ के बाजार में रौनक तो बहुत है, गोया बुलबुले जैसी तुरंत ही फूट जाती है…पकड़ भी लोगे तो क्या हासिल होगा सिवाय धोखे के।’’