विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री से की मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर जोर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लूंग, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन और कुछ अन्य वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात की तथा द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उपायों एवं हिंद-प्रशांत और पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा की। जयशंकर सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। वह शनिवार को… Continue reading विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री से की मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर जोर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को ‘बेतुका’ बताकर खारिज किया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन द्वारा बार-बार किये जा रहे दावे को शनिवार को ‘बेतुका’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह सीमांत राज्य ‘‘भारत का स्वाभाविक हिस्सा’’ है।

अरुणाचल पर चीन द्वारा अक्सर किये जाने वाले दावे और राज्य का भारतीय राजनीतिक नेताओं द्वारा किये जाने वाले दौरे का चीन के विरोध करने पर संभवत: अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है।

उन्होंने यहां नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के ‘साउथ एशियन स्टडीज इंस्टीट्यूट’ में एक व्याख्यान देने के बाद अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने दावा किया है, इसने अपने दावे को दोहराया है। ये दावे शुरू से बेतुके हैं और आज भी बेतुके बने हुए हैं।’’

जयशंकर तीन दिन के दौरे पर यहां हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश ‘‘भारत का एक स्वाभाविक हिस्सा’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट रहे हैं और हमारा एकसमान रुख रहा है। और मुझे लगता है कि आप जानते हैं कि यह ऐसी चीज है, जो वर्तमान में जारी सीमा वार्ता का हिस्सा है।’’

जयशंकर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि भारत के लिए आज यह चुनौती है कि दो उभरती शक्तियों, जो पड़ोसी देश भी हैं, के बीच कैसे टिकाऊ संतुलन तलाशा जाए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का एक इतिहास और आबादी है जो उन्हें शेष विश्व से अलग करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एक बहुत जटिल चुनौती है।’’

जयशंकर ने कहा कि 2020 में जब चीन ने सीमा पर कुछ करने का विकल्प चुना तो यह भारत के लिए एक बड़ा आश्चर्य था और उसका यह कदम दोनों देशों के बीच बनी सहमति का पूरी तरह से उल्लंघन था।

विदेश मंत्री पैंगोंग झील इलाके में एक हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को उत्पन्न हुए पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध का संदर्भ दे रहे थे। पूर्वी लद्दाख गतिरोध ने व्यापार को छोड़कर सभी मोर्चों पर द्विपक्षीय संबंधों में ठहराव ला दिया।

भारत, चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव बना रहा है। भारत का यह कहना है कि जब तक सीमा पर स्थिति असमान्य बनी रहेगी तब तक चीन के साथ सामान्य संबंध बहाल नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा, ‘‘संतुलन बनाने के लिए बुनियाद को मजबूत करने के बजाय, उन्होंने (चीनी पक्ष) ने स्थिति को बिगाड़ दिया।’’

जयशंकर ने कहा कि सीमा विवाद का समाधान होने में वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बहुत जटिल मुद्दा है। हम सीमा विवाद का हल करने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। हम सीमा पर शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के बारे में बात कर रहे हैं।’’

जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच गलतफहमी का कोई मुद्दा नहीं है। दोनों देशों ने सीमा विवाद पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह 2020 तक काम करता रहा। इसलिए हम क्यों नहीं बैठें और लंबे समय तक बरकरार रखी गई शांति एवं स्थिरता को जारी रखने के उपाय तलाशें।’’

विदेश मंत्रालय द्वारा चीन के रक्षा मंत्रालय के बयान को खारिज किये जाने के कुछ दिनों बाद जयशंकर की यह टिप्पणी आई है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘‘हमने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की उस टिप्पणी पर गौर किया, जिसमें भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के भूभाग को लेकर बेतुके दावे किये गए हैं।’’

मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इस बारे में बेबुनियाद तर्क को दोहराना इस तरह के दावे को कोई वैधता नहीं प्रदान करता। अरुणाचल प्रदेश, भारत का अभिन्न हिस्सा था, है, और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लाभ प्राप्त करते रहेंगे।’’

इससे पहले, चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने पर आपत्ति जताई थी।

अमेरिका और भारत के संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी आगे जाएंगे : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं और दोनों देश ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां वे एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदार के रूप में देखते हैं।

जयशंकर ने कहा कि ये द्विपक्षीय संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी आगे जाएंगे।

भारतीय दूतावास द्वारा शनिवार को यहां आयोजित ‘सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से ‘इंडिया हाउस’ में एकत्र हुए सैकड़ों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘आज यह स्पष्ट संदेश है कि हमारे रिश्ते अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं, लेकिन जैसा कि अमेरिका में कहा जाता है कि आपने अभी तक कुछ भी नहीं देखा है, हम इन संबंधों को एक अलग स्तर, एक अलग जगह ले जाने वाले हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि इस बदलती दुनिया में भारत और अमेरिका एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हम एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदारों के रूप में देखते हैं…।’’

जयशंकर ने कहा कि जी20 की सफलता अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकती थी।

उन्होंने कहा, ‘‘जब चीजें अच्छी होती हैं, तो हमेशा मेजबान को इसका श्रेय मिलता है। यह उचित भी है, लेकिन यदि जी20 के सभी सदस्य देश इस आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो यह संभव नहीं था।’’

जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘जी20 को सफल बनाने के लिए जो योगदान, जो सहयोग और समझ हमें अमेरिका से मिली, उसकी मैं वाशिंगटन डीसी में सार्वजनिक तौर पर सराहना करना चाहूंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तो, शाब्दिक रूप से यह हमारी सफलता हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह जी20 (राष्ट्रों) की सफलता थी। मेरे लिए, यह भारत-अमेरिका साझेदारी की भी सफलता थी… कृपया इस साझेदारी को वह समर्थन देते रहें, जिसकी उसे आवश्यकता है, जिसकी यह हकदार है और जिसकी अपेक्षा है। मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे।’’

जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध इस द्विपक्षीय संबंध को और अनूठा बनाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘देश एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं। देश एक-दूसरे के साथ राजनीति करते हैं। उनके बीच सैन्य संबंध होते हैं, वे अभ्यास करते हैं और उनके बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है, लेकिन जब दो देशों के बीच गहरे मानवीय संबंध हों, तो यह पूरी तरह से अलग स्थिति होती है। हमारे संबंधों की यही आज अहम विशेषता है।’’

उन्होंने कहा कि लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अमेरिका की 1985 की यात्रा, 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया यात्राएं याद हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर का कनाडा को लेकर बड़ा बयान, कहा राजनीति के लिए आतंक को बढ़ाना ठीक नहीं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली को संबोधित किया। यहां उन्होंने कनाडा का नाम तो नहीं लिया लेकिन यह जरूर कहा कि राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए लेकिन ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह सम्मान चुनिंदा… Continue reading विदेश मंत्री एस जयशंकर का कनाडा को लेकर बड़ा बयान, कहा राजनीति के लिए आतंक को बढ़ाना ठीक नहीं