रणजीत चौटाला की हरियाणा मंत्रिमंडल से छुट्टी, निर्धारित 6 माह की अवधि में विधायक निर्वाचित न होने कारण आगे नहीं रह सकते मंत्री
6 महीने की निर्धारित समयावधि में विधायक निर्वाचित न होने कारण हरियाणा में मौजूदा तौर पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मंत्रिपरिषद में उर्जा विभाग और जेल विभाग के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का कार्यकाल गति दिवस 23 सितंबर को पूरा हो गया।
चंद्र शेखर धरणी, चंडीगढ़:
6 महीने की निर्धारित समयावधि में विधायक निर्वाचित न होने कारण हरियाणा में मौजूदा तौर पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मंत्रिपरिषद में उर्जा विभाग और जेल विभाग के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का कार्यकाल गति दिवस 23 सितंबर को पूरा हो गया। मंगलवार 24 सितंबर को प्रदेश सरकार की मंत्रीमंडल ब्रांच द्वारा 23 सितंबर की तारीख से गैर विधायक वर्ग से मंत्री के तौर पर रणजीत चौटाला का कार्यकाल समाप्त होने बारे प्रदेश सचिवालय की संबंधित शाखाओं नामतः राजनीतिक, आर.वी.ए., अकाउन्टस और तीनों स्थापना ब्रांचों को इस संबंध में आगामी आवश्यक कार्रवाई के लिए लिख दिया गया है।
रोचक बात यह है कि हालांकि इसी माह 5 सितंबर को सिरसा की रानियां विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट न मिलने कारण रणजीत ने मंत्रीपद से त्यागपत्र देने की घोषणा की थी, परंतु ताजा घटनाक्रम से ऐसा साफ हो गया है कि उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अंतर्गत कोई मंत्री, जो निरंतर 6 महीने की अवधि तक राज्य विधानसभा का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
उन्होंने बताया कि अगर गत 5 सितंबर को रणजीत द्वारा वास्तव में मंत्रीपरिषद से उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री नायब सैनी को दिया गया होता, तो निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री उसे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पास स्वीकृति के लिए भेजते और राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत पड़ने वाले मंत्रीमंडल सचिवालय द्वारा इस आशय में एक नोटिफिकेशन हरियाणा सरकार के गजट में प्रकाशित की जाती, जो हालांकि नहीं किया गया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि रणजीत ने 5 सितंबर या उसके बाद मंत्रीपद से इस्तीफा नहीं दिया। 12 सितंबर को निवर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के भंग होने के फलस्वरूप मुख्यमंत्री नायब सैनी और उनकी मंत्रिपरिषद के सभी 13 अन्य सदस्य (मंत्रीगण) कार्यवाहक बन गए थे।
इसी वर्ष 12 मार्च को जब प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदलकर कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से तत्कालीन भाजपा सांसद नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया, तो उनके साथ शपथ लेने वाले 5 कैबिनेट मंत्रियों में रणजीत सिंह भी शामिल थे, जो तब सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक थे। इससे पूर्व रणजीत प्रदेश की पिछली मनोहर लाल सरकार में भी उक्त दोनों विभागों के मंत्री रह चुके थे।
इसके बाद 24 मार्च की शाम रणजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके कुछ समय बाद ही उन्हें हिसार लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। जिस कारण रणजीत ने उसी दिन विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया। चूंकि निर्दलीय विधायक रहते हुए कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकता अन्यथा उसे दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि विधायक पद से त्यागपत्र के साथ रणजीत ने प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया।
बहरहाल रानियां विधानसभा सीट से विधायक पद से त्यागपत्र देने के एक महीने से ऊपर का समय बीत जाने के बाद 30 अप्रैल 2024 को हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा रणजीत का विधायक पद से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया था। 4 जून को हिसार लोकसभा सीट के परिणाम में भाजपा से चुनाव लड़ रहे रणजीत को कांग्रेस के जय प्रकाश ने पराजित कर दिया था। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधायक पद से त्यागपत्र से रिक्त हुई करनाल विधानसभा सीट पर 25 मई को हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीतकर नायब सैनी गैर- विधायक तौर पर मुख्यमंत्री बनने के ढ़ाई महीने बाद विधायक निर्वाचित हो गए। वहीं मौजूदा सरकार में रणजीत गत 24 मार्च के बाद से गैर-विधायक एवं बिना ताजा शपथ लिए कैबिनेट मंत्री बने हुए थे।
एडवोकेट हेमंत ने गत 2 मई को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक प्रश्न उठाया कि रणजीत सिंह, जो 12 मार्च को 14वीं हरियाणा विधानसभा के सदस्य (विधायक) थे अर्थात जिस दिन उन्होंने नायब सैनी के मुख्यमंत्री के साथ उनकी सरकार में मंत्रीपद के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उसके बाद 24 मार्च 2024 पूर्वाह्न से विधायक के रूप में उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया, इसलिए 24 मार्च 2024 की बाद दोपहर से उनकी स्थिति एक पूर्व विधायक या दूसरे शब्दों में एक गैर-विधायक की हो गई।
इसलिए यदि वह वर्तमान हरियाणा सरकार में उस क्षमता (गैर-विधायक वर्ग) में निर्बाध रूप से 24 मार्च 2024 की दोपहर से 23 सितंबर 2024 तक अर्थात भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार गैर- विधायक तौर पर अधिकतम 6 माह तक मंत्रीपद पर आसीन तो रह सकते हैं, परंतु उसके लिए उन्हें हरियाणा के राज्यपाल द्वारा मंत्री के रूप में नए सिरे से पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जानी चाहिए, क्योंकि 24 मार्च 2024 की दोपहर से वे गैर-विधायक हैं और मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ, जो उन्हें 12 मार्च 2024 को दिलाई गई थी, जबकि वे विधायक थे, को इस तरह नहीं बढ़ाया जा सकता कि इसमें गैर-विधायक होने के नाते मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल हो, जो 24 मार्च 2024 की बाद दोपहर से प्रभावी हुआ।
राष्ट्रपति सचिवालय के अंडर सेक्रेटरी द्वारा 9 मई को इस विषय पर हरियाणा के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले में आवश्यक कार्रवाई करने एवं उसकी सूचना याचिकाकर्ता को देने बारे कहा गया था। हालांकि आज 4 माह से ऊपर का समय बीत जाने के बाद भी हरियाणा सरकार से कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है।
What's Your Reaction?