रायबरेली में बड़े अंतर से चुनाव हारेंगे राहुल गांधी : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी के वायनाड और रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर शनिवार को उनपर कटाक्ष करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेता रायबरेली में बड़े अंतर से चुनाव हारेंगे।

आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले के बोडेली शहर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर कुछ राज्यों में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित आरक्षण छीनने का भी आरोप लगाया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। जब वह अमेठी से चुनाव हार गए, तो वायनाड चले गए। चूंकि, उन्हें एहसास हो गया है कि वह इस बार वायनाड से हार जाएंगे, इसलिए वह अब अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं।’’

राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था। उन्होंने वायनाड से जीत हासिल की थी, जबकि अमेठी सीट पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने छोटा उदयपुर (आरक्षित) लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार जशुभाई राठवा के लिए चुनाव प्रचार करने के दौरान कहा, ‘‘राहुल बाबा, मेरी सलाह मानो। दिक्कत आपमें है, सीटों में नहीं। आप रायबरेली से भी बड़े अंतर से चुनाव हारेंगे। अगर आप भाग भी जाओ, तो भी लोग आपको ढूंढ लेंगे।’’

उन्होंने कहा कि ”राहुल बाबा एंड कंपनी” यह झूठ फैला रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक और कार्यकाल हासिल करेंगे, तो आरक्षण खत्म कर देंगे।

शाह ने कहा, ‘‘राहुल बाबा, मोदी के पास 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत था। लेकिन, उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित आरक्षण को कभी नहीं छुआ। यह मोदी की गारंटी है कि जब तक भाजपा सत्ता में है, आपके आरक्षण को कोई छू नहीं सकता।’’

केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि यह ‘इंडिया’ गठबंधन है, जिसने कुछ राज्यों में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित आरक्षण में से मुसलमानों को कोटा दिया।

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में गुजरात की 25 लोकसभा सीट पर सात मई को मतदान होना है।

शाह ने दावा किया कि कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद, उन्होंने (कांग्रेस ने) मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण दे दिया और आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को पांच प्रतिशत आरक्षण दिया, जिससे ओबीसी के लिए निर्धारित कोटा प्रभावी रूप से कम हो गया।