राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर कहा- “25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए”
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को 76वां संविधान दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को 76वां संविधान दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
“संविधान ने हमारे स्वाभिमान को सुनिश्चित किया”- राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का संविधान न केवल लोकतांत्रिक आदर्शों का प्रतीक है, बल्कि हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्मविश्वास का आधार भी है। उन्होंने आगे कहा कि “भारत का लोकतंत्र आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। संविधान ने हमारे स्वाभिमान को सुनिश्चित किया है। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि 25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।”
“संविधान दिवस हमारे आत्मसम्मान और जिम्मेदारी का प्रतीक”
राष्ट्रपति ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान के निर्माण का कार्य पूर्ण किया था और उसी दिन “हम भारत के लोगों” ने इसे अपनाया था। उन्होंने याद दिलाया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि “संविधान दिवस हमें न केवल अपने अधिकारों की याद दिलाता है, बल्कि यह हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की भी स्मृति कराता है।”
उपराष्ट्रपति संविधान दिवर पर कही ये बातें
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारतीय संविधान उन लाखों देशवासियों की संघर्ष, एकता और त्याग की परिणति है जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। “संविधान का मसौदा, बहस और स्वीकृति उन महान नेताओं की देन है जिन्होंने आजाद भारत का सपना देखा था। यह करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का दस्तावेज है, जिसे विद्वानों और संविधान सभा के सदस्यों ने अपने निःस्वार्थ योगदान से साकार किया।”
एकता, न्याय और प्रगति का उत्सव
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया। पूरा सेंट्रल हॉल लोकतांत्रिक आदर्शों, “न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता” — की गूंज से भर उठा।
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