फिर से चर्चा में पिंक टैक्स, बिना जानकारी कैसे महिलाएं देती हैं ये टैक्स?

फिर से चर्चा में पिंक टैक्स, बिना जानकारी कैसे महिलाएं देती हैं ये टैक्स?

किसी भी देश की आर्थिक ज़रूरतें होती हैं, जिससे जनता की सेवाओं के लिए सरकार पॉलिसी बनती है। यही वजह है कि सरकार लोगों पर विभिन्न तरीके से टैक्स लागू करती है।

तो वही देश में अभी इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और जीएसटी टैक्स चल रहे हैं और उनके बारे में आपने जरूर सुना होगा। हाल ही में खबरों में पिंक टैक्स के बारे में भी जानकारी आई है।

दरअसल ये टैक्‍स कंपनियां वसूलती हैं और इसके जरिए महिलाओं की जेब पर असर पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि पिंक टैक्‍स क्या होता है और इसे कैसे वसूला जाता है।

बता दें कि पिंक टैक्स कोई साधारण टैक्स नहीं होता है। ये टैक्‍स जेंडर के हिसाब से वसूला जाता है। खासकर जब कोई प्रोडक्ट महिलाओं के लिए डिजाइन होता है।

आसान शब्‍दों में कहें तो ये एक अदृश्य लागत है, जिसे महिलाएं अपने सामान और सर्विसेस के लिए चुकाती हैं। जानकारी के मुताबिक ऐसे प्रोडक्‍ट्स जो खासतौर पर महिलाओं के लिए तैयार किए जाते हैं।

उदाहरण के लिए मेकअप का सामान, नेल पेंट, लिपस्टिक, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी, सेनिटरी पैड आदि इन सभी चीजों की कीमत काफी ज्‍यादा होती है।

इनके लिए महिलाओं को प्रोडक्शन कॉस्ट और मार्केटिंग कॉस्ट मिलाने के बाद भी करीब तीन गुना ज्‍यादा कीमत चुकानी पड़ती है। पिंक टैक्‍स वसूलने के पीछे मार्केट स्ट्रेटजी है।

अधिकांश कंपनियां ये अच्‍छी तरह से जानती हैं कि महिलाएं खुद की खूबसूरती को लेकर काफी सजग रहती हैं। महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कई तरह के पर्सनल केयर प्रोडक्‍ट्स का इस्‍तेमाल करती हैं।

इतना ही नहीं अगर कोई सामान महिलाओं को पसंद आता है, तो वो उसे खरीद लेती हैं। दरअसल कंपनियां इसी चीज का फायदा उठाती हैं और शानदार मार्केटिंग और पैकेजिंग के दम पर महिलाओं को लुभाती हैं।

बता दें कि आज के समय में पिंक टैक्‍स एक ऐसा टैक्‍स बन चुका है, जिसे बचा पाना बहुत मुश्किल है।