चीन के हाथों की ‘कठपुतली’ बन नाच रहे मालदीव के नए PM मुइज्जू, भारत से विवाद के बीच मालदीव निभा रहा चीन से याराना

चीन के हाथों की 'कठपुतली' बन नाच रहे मालदीव के नए PM मुइज्जू, भारत से विवाद के बीच मालदीव निभा रहा चीन से याराना

भारत और चीन के बीच जारी विवाद में चीन अपनी रोटी सेंकने से बाज नहीं आया है। मालदीव के नए नवेले राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज़्ज़ू का भारत विरोधी रुख़ जगज़ाहिर है।

लेकिन चीन के 5 दिवसीय दौरे से लौटने के बाद उनकी भाषा और सख़्त हो गई है। इसके पीछे मुख्य तौर पर 2 कारण नज़र आते है। एक तो चीन के साथ मालदीव के हुए 20 समझौते और दूसरा लक्षद्वीप-मालदीव को लेकर भारत के साथ पैदा हुआ विवाद।

भारत और मालदीव में भड़के तनाव के बीच चीन ने आग में घी डालने का काम किया है। अब हम आपको कुछ दिन पीछे ले चलते है।

मुइज़्ज़ू जब चीन के दौरे पर निकलने वाले थे, ठीक उससे पहले लक्षद्वीप और मालदीव में टूरिज़्म को लेकर सोशल मीडिया पर एक विवाद छिड़ गया।

मालदीव के 3 मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट कर दिए। इसके बाद मालदीव की विपक्षी पार्टियों ने मुइज़्ज़ू सरकार को घेर लिया।

इधर भारत से मालदीव जाने वाले सैलानियों ने बुकिंग कैंसिल कराना शुरू किया। चौतरफ़ा दबाव पड़ता देख मालदीव सरकार ने अपने 3 मंत्रियों को निलंबित कर दिया, उनमें से 2 मुइज़्ज़ू के बहुत क़रीबी हैं।

मालदीव और चीन की नजदीकियों से क्या भारत को है खतरा?

दरअसल चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है। इसके लिए उसे मालदीव की जरूरत है। मालदीव में नई सरकार बनी तो चीन की कोशिशों को और बल मिल गया।

क्योंकि मालदीव के नए नवेले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के समर्थक हैं। भारत से ताजा विवाद की वजह से मालदीव और चीन में अब और नजदीकियां बढ़ने लगी हैं।

हाल ही में मोहम्मद मुइज्जू ने चीन की यात्रा की और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद दोनों देशों ने ट्रेवल और समुद्री अर्थव्यवस्था समेत 20 समझौते किए।

चीन ने 130 मिलियन डॉलर का मदद दिया है, जो मालदीव की विकास परियोजनाओं पर खर्च होगा। 20 समझौतों में टूरिज़्म सेक्टर को बढ़ावा देने का समझौता भी शामिल है।

दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों का सबसे ज्यादा खतरा भारत को है। चीन मालदीव में अब अपना सैन्य बेस बनाना चाहता है, जिससे भारत की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगेगा।

दूसरी ओर अब मालदीव सरकार ने भारत सरकार को मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी की डेडलाइन दे दी है। मालदीव सरकार का मानना है कि देश में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा है।

मालदीव से भारतीय सेना लौटी तो इसका सीधा फायदा चीन की सैन्य बेस बनाने की कोशिशों को मिलेगा। मालदीव में 88 भारतीय सैनिक हैं।

बता दें कि चीन दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू के तेवर बदले गए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत का नाम लिए बिना कहा, हम छोटे देश हो सकते हैं, लेकिन इससे किसी को हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।

किसी भी देश को किसी अन्य देश के घरेलू मामलों को प्रभावित करने का अधिकार नहीं है। हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र हैं। मुइज्जू ने भारत पर मालदीव की निर्भरता को कम करने की योजनाओं की भी घोषणा की है।