पूर्वी लद्दाख में दिखेगा शिवाजी महाराज का आक्रोश, प्रतिमा स्थापित... चीन को बड़ा संदेश !
पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के पास अब छत्रपति शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के पास 26 दिसंबर को भारतीय सेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की। यह प्रतिमा भारतीय सेना की तरफ से एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है, जो न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा की प्रतीक है, बल्कि भारत के वीरता और साहस का भी प्रतीक है। इस कदम का उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव और गतिविधियों के बीच भारत की स्थिति को मजबूत करना है।
14,300 फुट की ऊंचाई पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित
पैंगोंग झील के पास लगभग 14,300 फुट की ऊंचाई पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की स्थापना से भारतीय सेना और खासतौर पर लद्दाख क्षेत्र में सुरक्षा के प्रति समर्पण और दृढ़ता का संदेश जाता है। शिवाजी महाराज, जिन्होंने हमेशा अपनी युद्धनीति, साहस और रणनीतिक चातुर्य से दुश्मन को हराया, आज भी भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनकी प्रतिमा की स्थापना से भारतीय सैनिकों में आत्मविश्वास और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना मजबूत होगी।
चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर
चीन की ओर से लद्दाख और सीमा क्षेत्र में लगातार बढ़ते प्रभाव और गतिविधियों के मद्देनजर, छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को एक तरह से चीन की चाल पर निगरानी रखने के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। शिवाजी महाराज के समय में भी वे अपने साम्राज्य की सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहते थे और उनकी रणनीति आज भी भारतीय सेना के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में इस प्रतिमा की स्थापना भारत की सशस्त्र सेनाओं की उस तैयारी को भी दिखाती है, जो किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए हमेशा तत्पर रहती है। यह एक संदेश है कि भारतीय सेना चीन की हर चाल पर नजर रखे हुए है और देश की सुरक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है।
प्रतिमा का सांस्कृतिक और सामरिक महत्व
यह प्रतिमा न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण पहल है। छत्रपति शिवाजी महाराज की छवि भारत के प्रत्येक नागरिक के दिल में बसी हुई है। उन्होंने अपने समय में समाज के प्रत्येक वर्ग को समान रूप से सम्मान दिया और अत्याचारों का मुकाबला किया। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने कई युद्धों में विजय प्राप्त की, जो भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन गए।
इस प्रतिमा की स्थापना भारतीय सेना के द्वारा लद्दाख में एक बयान है कि हम न केवल अपनी सुरक्षा के प्रति गंभीर हैं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर और महान नेताओं की प्रेरणा से राष्ट्र को और मजबूत करेंगे।
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