भूटान नरेश दिल्ली पहुंचे, प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का कार्यक्रम

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक तीन नवंबर से शुरू हुई अपनी आठ दिवसीय भारत यात्रा के तहत रविवार को दिल्ली पहुंचे और हवाई अड्डे पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने गर्मजोशी से उनकी अगवानी की। यह भारत द्वारा उनकी यात्रा को दिए जा रहे महत्व को रेखांकित करता है।

वांगचुक की भारत यात्रा भूटान और चीन द्वारा अपने दशकों पुराने सीमा विवाद के शीघ्र समाधान के लिए नए सिरे से की जा रही कोशिश के बीच हो रही है।

भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत पर करीबी नजर रख रहा है, क्योंकि इसका भारत के सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर ‘डोकलाम ट्राई-जंक्शन’ क्षेत्र में।

वांगचुक की भारत की आठ दिवसीय यात्रा तीन नवंबर को गुवाहाटी से शुरू हुई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘महामहिम भूटान नरेश का नयी दिल्ली आने पर विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने गर्मजोशी से स्वागत किया। महामहिम भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह यात्रा एक अहम साझेदार के साथ मित्रता और सहयोग के घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करेगी।’’

भूटान नरेश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जयशंकर से मुलाकात करने का कार्यक्रम है।

विदेश मंत्रालय ने दो नवंबर को कहा था कि भूटान नरेश की यात्रा दोनों पक्षों को द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की समीक्षा करने और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।

पिछले महीने, भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत की थी।

वार्ता के बाद चीन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि भूटान दृढ़ता से एक-चीन के सिद्धांत का समर्थन करता है और सीमा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए चीन के साथ काम करने और राजनयिक संबंध स्थापित करने की राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।

चीन और भूटान ने अगस्त में अपने सीमा विवाद का समाधान करने के लिए ‘तीन-चरणीय रूपरेखा’को लागू करने के लिए तेजी से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।

अक्टूबर 2021 में, भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता में तेजी लाने के लिए ‘तीन-चरणीय रूपरेखा’ को लेकर समझौता किया था।

चीन ने भारत के साथ डोकलाम में गतिरोध के चार साल बाद भूटान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। डोकलाम में भारत के साथ गतिरोध तब शुरू हुआ था, जब चीन ने उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने की कोशिश की, जिसपर भूटान अपना दावा करता है। डोकलाम में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध की स्थिति बनी रही थी।