क्या है टू स्टेट सॉल्यूशन, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग ऐसे होगी खत्म

क्या है टू स्टेट सॉल्यूशन, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग ऐसे होगी खत्म

विश्व इस वक्त दो धुरी में बँटा हुआ है। इजरायल और हमास के बीच की जंग अब सिर्फ दो समुदायों या देशों का मसला नहीं रह गया है बल्कि इस युध्द में अब कई देशों की भागीदारी दिखाई देने लगी है।

अंदेशा तो यह भी लगाया जाने लगा है कि कहीं यह युध्द विश्व युध्द में ना बदल जाए। हांलाकि विश्व में एक तबका ऐसा भी है जो इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चले आ रहे संघर्ष को हमेशा के लिए खत्म करना चाहती है।

लेकिन क्या पिछले 75 सालों से जो जंग इन दो देशों के बीच हो रही है। वो खत्म हो सकती है, तो इसका उत्तर हाँ हैं। इस संघर्ष को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए इतिहास में कई अहम प्रयास किए गए।

इस वीडियो में हम उसी प्रयास के बारे में विस्तार से जानेंगे। इजरायल और हमास के बीच युध्द शुरु हुए 20 दिनों से अधिक का समय हो गया है। लेकिन अभी भी इसका कोई परिणाम निकलते दिखाई नहीं दे रहा है।

इजरायल और फिलिस्तीन के हजारों बेगुनाह लोग इस युध्द में मारे जा चुके हैं। हांलाकि, यह पहली बार नहीं है कि दोनों देशों के बीच ऐसी स्थिति हुई है। साल 1948 में इजरायल के बनने के तुरंत बाद से ही दोनों ही ओऱ से भयंकर रक्त पात शुरु हो गया था।

मिडिल ईस्ट के कई देश इस युध्द का हिस्सा थे। जिस कारण दुनिया में तेल और गैस के दामों में बेहिसाब बढ़ोत्तरी हो रही थी। मिडिल ईस्ट में शांति और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच के संघर्ष को खत्म करने के लिए पहली बार अमेरिका ने कदम बढाया।

स्पेन के मैड्रिड में 31 अक्टूबर से 1 नवंबर तक विश्व के कई बड़े देश साथ बैठे। मैड्रिड शांति सम्मेलन में सभी देशों ने पहली बार टू स्टेट सॉल्यूशन दिया। आसान भाषा में समझे तो इस बैठक में यह तय किया गया कि दो समुदायों के लिए दो अलग देश होंगे।

साथ ही, 1967 में जो इजरायल की सीमा थी, उसी हिसाब से दोनों देशों के सीमा को तय किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर इजरायल ने हामी भर दी। इसके बाद अगले दो सालों तक कई बैठकें हुई और आखिरकार 13 सितंबर 1993 को अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के मैजूदगी में व्हाइट हाउस के लॉन में ओस्लो आई समझौते पर इजराइल के प्रधानमंत्री और फिलिस्तीन के प्रमुख ने हस्ताक्षर किया।

इस समझौते में ना सिर्फ आजाद फिलिस्तीन और इजरायल की बात हुई बल्कि दोनों देशों को आर्थिक सहायता देने पर भी हामी भरी गई। हांलाकि, यह समझौता कभी आगे नहीं बढ़ पाया। इजरायल के प्रधानमंत्री को इस समझौते के बाद भारी विरोध का सामना करना पड़ा और साल 1995 में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।

बाद में जाकर कभी ओस्लो समझौते पर चर्चा नहीं हुई। अरब देश और इजरायल के बीच शांति बनाने का अंतिम प्रयास साल 15 सितंबर 2020 में किया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अबदुल्ला, बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल लतीफ बिन राशिद अल ज़यानी और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच अमेरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करवाए थे।

इस समझौते के बाद पहली दफा संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत इजराइल पहुँचे। इसके बाद पिछले ही दिनों जी20 में भारत-मिडिल इस्ट-यूरोप कॉरिडोर पर सहमति बनी थी।

हांलाकि, हमास के हमले के बाद पूरा परिदृशय बदल चुका है। भले ही कई अरब देश खुल कर इस युध्द में सामने नहीं आए हैं। लेकिन माना जा रहा है कि इजराइल औऱ अरब देशों के बीच सुधरते रिश्तें अधिक दिनों तक अच्छे नहीं रह पाएंगें।