IND vs NZ: न्यूजीलैंड की 3-0 से ऐतिहासिक जीत, 24 साल बाद भारत हुआ सरजमीं पर क्लीनस्वीप
IND vs NZ: भारत-न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड ने भारत को उसकी ही धरती पर 3-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। ये क्रिकेट के इतिहास में पहला मौका था, जब न्यूजीलैंड ने भारत में आकर टेस्ट सीरीज जीती. इसी के साथ 55 सालों के बाद भारत में टीम इंडिया का ऐसा बुरा हाल देखने को मिला।
IND vs NZ: भारत-न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड ने भारत को उसकी ही धरती पर 3-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। भारतीय टीम को घरेलू मैदान पर लगातार तीन मैचों में हार का सामना करना पड़ा, जो भारतीय क्रिकेट के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि ये क्रिकेट के इतिहास में पहला मौका था, जब न्यूजीलैंड ने भारत में आकर टेस्ट सीरीज जीती. इसी के साथ 55 सालों के बाद भारत में टीम इंडिया का ऐसा बुरा हाल देखने को मिला। इस सीरीज ने भारतीय टीम की बल्लेबाजी, गेंदबाजी से लेकर कई मौकों पर लिए गए फैसलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए चार मुख्य बिंदुओं से इस सीरीज का लेखा जोखा आपको समझाने की कोशिश करते हैं।
1. भारतीय बल्लेबाजी दिखी कमजोर
भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन पूरी सीरीज में निराशाजनक रहा। बेंगलुरु में खेले गए पहले टेस्ट में भारतीय टीम पहली पारी में मात्र 46 रनों पर ऑल आउट हो गई. इसके बाद टीम ने इस प्रदर्शन की भरपाई करनी चाही, टीम कई बार गेम में भी आई लेकिन किवीस ने उन्हें कभी भी जीतने नहीं दिया। घरेलू मैदान पर भारतीय बल्लेबाजों से मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है, लेकिन इस बार बल्लेबाजी क्रम अस्थिरता से भरा रहा। सलामी बल्लेबाजों का जल्दी आउट होना, मध्य क्रम की असफलता और निचले क्रम में संघर्ष भारतीय टीम को हर मैच में मुश्किल स्थिति में डालता गया। पहले दो मैचों में भारतीय टीम ने अच्छी शुरुआत के बावजूद निरंतरता की कमी दिखाई। जिसका खामियाजा उन्हें हार के साथ करना पड़ा।
कई प्रमुख बल्लेबाज अपनी क्षमता के अनुसार रन नहीं बना पाए, टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ी कप्तान रोहित शर्मा और पूर्व कप्तान विराट कोहली तीनों टेस्ट मैच में फ्लॉप रहे। इसके अलावा बाकी खिलाड़ी कई मौकों पर गलत शॉट चयन के कारण विकेट गंवाते दिखे। घरेलू पिचों पर जिस तरह का संयम और तकनीक उम्मीद की जाती है, वह भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन में बिलकुल नहीं दिखा। कभी वो तेज पिच पर सीम गेंदबाजी के आगे धराशायी होते दिखे तो कभी रैंक टर्नर पर स्पिनर्स के आगे घूटने टेकते दिखाई दिए।
2. गेंदबाजी में नहीं दिखी वो पैनी धार
भारतीय गेंदबाजी का प्रदर्शन भी इस सीरीज में प्रभावी नहीं रहा। घरेलू पिचों पर भारत के स्पिन गेंदबाजों से खास उम्मीद की जाती है, लेकिन इस बार वे निराशाजनक साबित हुए। न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय स्पिनरों का आत्मविश्वास से सामना किया और उन्हें दबाव में नहीं आने दिया। इसके विपरीत, न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों पर लगातार दबाव बनाए रखा और सही समय पर विकेट निकालते रहे। भारतीय टीम की सबसे सफल और दिग्गज स्पिन जोड़ी अश्विन-जडेजा भी भारत को इस ऐतिहासिक हार से अपने आप को नहीं बचा पाए।
तेज गेंदबाज भी न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के सामने संघर्ष करते दिखे, भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह लंबे स्पैल में वैसा रिजल्ट देने में नाकामयाब रहे जैसा उनसे उम्मीद की जाती है। भारतीय गेंदबाजों के पास विकेट निकालने की योजना में स्पष्टता की कमी दिखी, और इसका परिणाम यह हुआ कि विपक्षी टीम ने बड़े स्कोर खड़े किए। हमने कई मौकों पर गेंदबाजों को आखिरी इनिंग्स में स्कोर को डिफेंड करते देखा है, लेकिन इस इस सीरीज में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण तो दिखे लेकिन न्यूजीलैंड के गेंदबाजों के पास इन सभी का जवाब था।
3. न्यूजीलैंड का सटीक गेम प्लान और शानदार प्रदर्शन
न्यूजीलैंड की टीम ने इस सीरीज में अपनी सटीक रणनीति और बेहतरीन टीम वर्क का प्रदर्शन किया। उनके बल्लेबाजों ने परिस्थितियों और मांग के हिसाब से संयम और धैर्य का परिचय दिया, जिससे भारतीय गेंदबाजों पर हावी होना मुश्किल हो गया। टीम के हर एक खिलाड़ी ने अपनी भूमिका को समझते हुए उसी पर काम किया, चाहे वह बल्लेबाजी हो, गेंदबाजी हो या फील्डिंग।
न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को पिच पर जमने का मौका नहीं दिया और लगातार आक्रामक गेंदबाजी करते हुए विकेट निकालते रहे। इसके अलावा, उनके कप्तान ने स्थिति के अनुसार लगातार राजनीतिक बदलाव किए, जिससे भारतीय टीम असमंजस में रही।
4. भारतीय टीम के लिए बड़ा सबक
इस हार ने भारतीय टीम के प्रदर्शन और तैयारी पर आत्ममंथन का अवसर दिया है। घरेलू मैदान पर मिली यह हार न केवल खिलाड़ियों की व्यक्तिगत क्षमता पर सवाल उठाती है, बल्कि टीम की पूरी रणनीति और उनके फैसलों पर सवाल उठाती है। अब WTC के फाइनल में जाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑस्ट्रेलिया में ही खेले जाने वाली 4 मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में टीम इंडिया को सारे के सारे मैच जीतने होंगे जो अब खासा मुश्किल दिखाई दे रहा है। आने वाले टेस्ट मुकाबलों में भारतीय टीम के लिए यह चुनौती होगी कि वे इस सीरीज से मिले सबक का उपयोग कर अपनी कमजोरियों को दूर करें और एक मजबूत वापसी करें।
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