दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, देशभर में 200 जगहों पर थी हमले की साजिश

10 नवंबर को लाल किले के पास हुए बम धमाके की साजिश के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था। बता दें कि दिल्ली सहित उत्तर भारत के 200 स्थानों पर बम धमाके करने की योजना बनाई थी।

Nov 22, 2025 - 14:19
Nov 22, 2025 - 14:22
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दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, देशभर में 200 जगहों पर थी हमले की साजिश

10 नवंबर को लाल किले के पास हुए बम धमाके की साजिश के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस संगठन ने अपने प्रशिक्षित आतंकी के जरिए भारत में एक ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल तैयार करवाया था, जिसमें कई डॉक्टर और शिक्षित पेशेवर शामिल थे।

उत्तर भारत में 200 धमाकों की थी साजिश

जांच में खुलासा हुआ है कि जैश ने दिल्ली सहित उत्तर भारत के 200 स्थानों पर बम धमाके करने की योजना बनाई थी। इनमें से कई हमले NCR में सीरियल ब्लास्ट के रूप में किए जाने थे। इसके लिए फरीदाबाद और सहारनपुर के डॉक्टरों का मॉड्यूल अमोनियम नाइट्रेट जुटा रहे थे। देश को दहलाने की यह साजिश लंबे समय से गुप्त रूप से तैयार की जा रही थी।

आतंकी हंजुल्ला ने दी विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग

सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हंजुल्ला को फरीदाबाद-सहारनपुर मॉड्यूल को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसे इस मॉड्यूल के सरगना मौलवी अहमद ने जोड़ा था। हंजुल्ला ने आतंकियों को ट्राईएसीटोन ट्राइपेरोक्साइड (TATP) और अमोनियम नाइट्रेट से उच्च क्षमता वाले बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी। उसी के निर्देश पर आतंकी विस्फोटक सामग्री और उपकरण खरीद रहे थे।

पोस्टर से मिला सुराग

जम्मू-कश्मीर में कुछ समय पहले लगाए गए जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टरों पर “कमांडर हंजुल्ला” का नाम लिखा था। इन्हीं पोस्टरों के जरिए जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला। जांच आगे बढ़ने पर फरीदाबाद-सहारनपुर के डॉक्टर मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ। इसके बाद एजेंसियों ने करीब 2,923 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया। सूत्रों का कहना है कि हंजुल्ला ने यह भी बताया था कि कौन-सा सामान खरीदना है और विस्फोटक कैसे तैयार करना है।  जांच एजेंसियों के अनुसार, इस मॉड्यूल में शामिल अधिकतर आतंकी डॉक्टर या पेशेवर थे, जिस वजह से वे लंबे समय तक सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर नहीं आए।

कोड लैंग्वेज में करते थे बात

साजिशकर्ताओं ने बातचीत के लिए एन्क्रिप्टेड चैटिंग एप्स और कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल किया। जांच में सामने आया है कि “बिरयानी” शब्द का इस्तेमाल वे विस्फोटक सामग्री के लिए करते थे।

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